दो लाल की मौत पर शेर गांव में पसरा मातम
अभी कल ही तो दिए जलाए थे, इन्हीं के लिए तो मंगलकामना की थी। फिर आज ऐसा क्यों हो गया भगवान। ये सवाल पुत्र वियोग में तड़पती माताओं के हैं। इनका जवाब शायद भगवान के पास भी नहीं है।
जागरण संवाददाता, बांसडीहरोड (बलिया): अभी कल ही तो दिए जलाए थे, इन्हीं के लिए तो मंगलकामना की थी। फिर आज ऐसा क्यों हो गया भगवान। ये सवाल पुत्र वियोग में तड़पती माताओं के हैं। इनका जवाब शायद भगवान के पास भी नहीं है। मात्र 15 साल का किशोर शेषनाथ जिसके सर से दो साल पहले ही बाप का साया विधाता ने हटा दिया। अब अपने परिवार का एकमात्र सहारा और मां की आंखों का तारा अचानक से उस शून्य में विलीन हो गया, जहां से उसके आने की कोई उम्मीद ही नहीं। ऐसे में उसकी मां गिरिजा का करुण विलाप सुनकर हर किसी का कलेजा कांप जा रहा हैं। बहन आरती का रो रोकर बुरा हाल है अभी कल ही तो उसने भाई दूज पर अपने भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा था। फिर अचानक ये क्या हुआ, आखिर नियति इतना कठोर कैसे हो सकती है। ऐसे ही हाल में पड़ोस मे ही जवान पुत्र राघवेन्द्र की मां लीलावती जो अब उम्र के 20 बसंत देख चुके अपने बेटे के सिर पर सेहरा बांधने की तैयारी कर रही थीं। लेकिन अब उसी बेटे को क़फन की चादर में उसे लिपटा देखना है। इससे बड़ा शोक अब शायद इस धरती पर दूसरा कोई नहीं।