Move to Jagran APP

ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार के विरुद्ध खौल उठा आंदोलनकारियों का लहू

जागरण संवाददाता बलिया 1942 की अगस्त क्रांति में आंदोलन का एक-एक दिन बीतने के साथ ही इस बागी भूमि पर अंग्रेजों के विरुद्ध जनाक्रोश बढ़ता गया। ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार से तंग बलियावासियों के खून में उबाल आने लगा और यहां क्रांति की ज्वाला चरम पर पहुंच गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 08:22 AM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 08:22 AM (IST)
ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार के विरुद्ध खौल उठा आंदोलनकारियों का लहू
ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार के विरुद्ध खौल उठा आंदोलनकारियों का लहू

रंजना सिंह, बलिया

loksabha election banner

-------------

1942 की अगस्त क्रांति में आंदोलन का एक-एक दिन बीतने के साथ ही इस बागी भूमि पर अंग्रेजों के विरुद्ध जनाक्रोश बढ़ता गया। ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार से तंग बलियावासियों के खून में उबाल आने लगा और यहां क्रांति की ज्वाला चरम पर पहुंच गई। अंग्रेजों के विरुद्ध जगह-जगह सभाएं आयोजित कर गांधी जी के वचन व बलिया की शान रखने के लिए रणनीतियां तैयार की जाने लगी।

11 अगस्त 1942 को नगर के विद्यालय से निकलकर विद्यार्थियों ने एक जुलूस निकाला जो नगर की परिक्रमा करते हुए शहीद पार्क चौक पहुंचकर सभा के रूप में तब्दील हो गया। इस सभा में काफी संख्या में नागरिकों व छात्रों ने भाग लिया। उस समय सभा में मौजूद जनसमूह को संबोधित करते हुए तत्कालीन जिला कांग्रेस कमेटी के मंत्री व आजादी के क्रांतिवीर रामअनंत पांडेय ने अपने पौने दो घंटे के भाषण में कहा कि अहिसात्मक रहते हुए सभी कार्य करने हैं। श्री पांडेय ने जिससे यातायात भंग, प्रशासन ठप हो, जिले के समस्त प्रशासनिक केंद्रों पर जनता का अधिकार हो, कचहरियों का पूर्ण बहिष्कार हो आदि भारत छोड़ो आंदोलन के उद्देश्यों व कार्यक्रमों से जनता को अवगत कराया और कहा कि हम तब तक चैन नहीं लेंगे जब तक कि अंग्रेजी हुकूमत को नष्ट न कर दें। उन्होंने क्रांति को सफल बनाने के लिए बाजार में पूर्णरूपेण बंदी का आह्वान किया। सभा के चारों तरफ पुलिस खड़ी थी। सभा समाप्त होने पर चौक से यह जनसमूह कचहरी बंद कराने के लिए चल पड़ा व कचहरी बंद कराके ही दम लिया।

जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधानमंत्री तत्कालीन प्रशासन द्वारा इसी दिन दोपहर तीन बजे गिरफ्तार कर लिए गए। 11 अगस्त को ही रानीगंज व बैरिया में भारत रक्षा कानून अंतर्गत काली प्रसाद, रामदयाल सिंह तथा मदन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके खिलाफ रानीगंज बाजार में हड़ताल कर क्रांतिकारियों ने एक जुलूस निकाला तथा ऐसी गिरफ्तारियों का विरोध किया। साथ ही जगह-जगह विरोध सभाएं आयोजित की गईं। सिवानकला के राधाकृष्ण प्रसाद को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इससे आक्रोशित आंदोलनकारियों में क्रांति की लहर और बढ़ गई। इसका असर बलिया नगर तक ही नहीं गांव-गांव तक दिखने लगा। 11 अगस्त को ही सिकंदरपुर के थानेदार द्वारा खेजुरी मंडल कांग्रेस की तालाशी लेकर कागजात जब्त करने के बाद ताला लगा दिया गया। परिणामत: आंदोलन और उग्र रूप धारण कर लिया। विरोध स्वरूप जनपद के रानीगंज, बिल्थरारोड तथा खेजुरी आदि क्षेत्रों में जुलूस निकाले गए।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.