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किसानों की कद्रदान है सरकार तो लागू करे स्वामीनाथन की सिफारिशें

प्रदेश के अति पिछड़े जिलों में शुमार गंगा व घाघरा के दोआब पर बसा बलिया एक कृषि प्रधान जिला है। यहां की

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 06:12 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:12 PM (IST)
किसानों की कद्रदान है सरकार तो लागू करे स्वामीनाथन की सिफारिशें
किसानों की कद्रदान है सरकार तो लागू करे स्वामीनाथन की सिफारिशें

जागरण संवाददाता, बलिया : प्रदेश के अति पिछड़े जिलों में शुमार गंगा व घाघरा के दोआब पर बसा बलिया एक कृषि प्रधान जिला है। यहां की 80 फीसदी आबादी गांवों में बसती हैं। पिछले 72 सालों में इस देश में किसान के नाम पर राजनीति तो बहुत हुई, आश्वासन के नाम पर खूब वोट बटोरे गए, लेकिन कोई भी सरकार इनको लेकर गंभीर नहीं रही। किसानों की बदहाली महज भाषणों तक सीमित होकर रह गई।

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सत्ता में आने के बाद वादे और दावे कूड़ादान की शोभा बढ़ाते रहे। बुधवार को शहर के टाउनहाल बापू भवन में आयोजित दैनिक जागरण की चुनावी चौपाल में किसानों ने जहां व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया वहीं सरकारी योजनाओं की जमकर बखिया उधेड़ी। सरकारी फरमानों पर खीझ जाहिर करते हुए कहा कि गो-संरक्षण केंद्र फाइलों से बाहर नहीं निकल पाया, लिहाजा निराश्रित पशु आज भी किसानों के गले का फांस बने हुए हैं। सरकारी वादों के बांध खेतों के बाड़ नहीं बन पाए। नेताओं के लिए किसान सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गया है। अभी तक क्रय केंद्र नहीं खोले गए, किसान महाजनों व बिचौलियों का शिकार हो रहे हैं। हालांकि किसान सम्मान योजना के प्रति थोड़ा उत्साह जरूर दिखा, लेकिन विरतण में भेदभाव को गलत करार दिया वहीं कांग्रेस द्वारा 72 हजार सालाना देने की घोषणा किसानों के गले नहीं उतर रही है। किसान इसे चुनावी हथकंडा बता रहे हैं। मतदाताओं से अपील

खुद सोंचे कौन है बेहतर, फिर करें मतदान। प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दे

-किसानों को खैरात नहीं, हक दे सरकार।

-किसानों की समस्या का हो त्वरित निदान।

प्रमुख राज्यस्तरीय मुद्दे

-सिचाई बिजली बिल में छूट दी जाए।

-बेसहारा पशुओं के लिए हो कारगर उपाय। प्रमुख स्थानीय मुद्दे

-बिजली के नंगे तारों को यथाशीघ्र बदला जाए।

-अगलगी के शिकार किसानों को तुरंत मिले मुआवजा।


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