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गंवई राजनीति की चासनी में पक कर धड़ाम हुई स्वच्छ भारत योजना

गांवों को स्वच्छ व सुंदर बनाने की योजना स्वच्छ भारत मिशन भी गंवई राजनीति की चासनी पक कर धड़ाम हो चुकी है। ये हम नहीं आंकड़ की रहे हैं। शायद यही वजह है कि शौचालय योजना में आए दिन खामियां निकलकर सामने आ रही हैं। सरकार की मंशा को प्रधान व सचिव की युगलबंदी किस तरह पलीता लगा रही है

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 06:45 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:08 AM (IST)
गंवई राजनीति की चासनी में पक कर धड़ाम हुई स्वच्छ भारत योजना
गंवई राजनीति की चासनी में पक कर धड़ाम हुई स्वच्छ भारत योजना

अजय राय

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जासं, सागरपाली (बलिया) : गांवों को स्वच्छ व सुंदर बनाने की योजना स्वच्छ भारत मिशन भी गंवई राजनीति की चासनी पक कर धड़ाम हो चुकी है। ये हम नहीं आंकड़े कह रहे हैं। शायद यही वजह है कि शौचालय योजना में आए दिन खामियां निकलकर सामने आ रही हैं। सरकार की मंशा को प्रधान व सचिव की युगलबंदी किस तरह पलीता लगा रही है उसकी बानगी किसी भी ग्राम प्रचायत में देखी ज सकती है। बावजूद जिम्मेदार कागजी कोरम पूरा करने में जुटे हैं। हालात इतने बदतर हैं कि शासन के निर्देश के बाद भी निर्मित शौचालयों की सूची सार्वजनिक नहीं की जा रही है। यहीं नहीं सरकारी दस्तावेजों में शौचालय बनवाकर कर आनन-फानन में जिले को ओडीएफ भी घोषित किया जा चुका है। जिसकी हकीकत एक-एक कर सामने आ रही है। इस संबंध में मंडलायुक्त कनन त्रिपाठी की कार्रवाई इसका तस्दीक भी कर रही है।

मंडलायुक्त के कड़े तेवर से सकते में आए नवागत डीपीआरओ की टीम को जांच के दौरान हैरान करने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। जांच में यह तथ्य खुल कर सामने आ रहा है कि वोट बैंक को साधने के लिए किस तरह प्रधानों ने योजना में मनमानी की है। अपने चहेतों व अपात्रों को शौचालय का पैसा रेवड़ी की तरह बांटी गई है। वहीं जो पात्र लाभार्थियों को दूसरी किस्त के लिए आज भी गणेश परिक्रमा करना पड़ रहा है। जांच में यह भी सामने आया कि कईयों को तो यह भी पता नहीं है कि उनेक नाम से शौचालय स्वीकृत हुआ है।

हनुमानगंज ब्लाक के वैना गांव में जांच को पहुंची टीम को दर्जनों लोग ऐसे मिले जिनका नाम सूची में तो दर्ज है लेकिन शौचायल कहीं और बनवाए गये हैं। जबकी ये सभी लोग शौचालय के लिए महिनों से प्रधान की परिक्रमा कर रहे थे। इनका दोष बस इतना था कि ये प्रधान के वोटर नहीं है। यह तो सिर्फ बानगी भर है। क्षेत्र के मुबारकपुर, पकड़ी, हैदरचक, आमदारी, बधेजी, गंगहरा, जलालपुर, दुमदुमा सहित दर्जनों गांव की हालत लगभग यही है। ऐसे में जांच टीम के सामने कई प्रकार की समस्या खड़ी हो गई है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि आखिर किस बिना पर पूर्ववर्ती अधिकारियों ने गांव व जिला को ओडीएफ घोषित कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि यदि सही तरीके से जांच कर दिया जाए जो जिले में अरबों रुपये का शौचालय घोटाला सामने आ सकता है। गांवों को स्वच्छ व निर्मल बनाने की योजना को प्रधान व सचिव ने सांठगांठ कर अपनी और चहेतों की जेब भरने का काम किया है इसकी कलई खुलते देर नहीं लगेगी।


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