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गांवों में हेपेटाइटिस-बी के टीकाकरण पर संदेह, सीएमओ ने नकारा

टीकाकरण के नाम पर स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किस तरह गांव की भोली-भाली जनता को भ्रमित किया जाता है इसका उदाहरण शुक्रवार को विकासखंड बेरूआरबारी के करम्मर गांव में देखने को मिला। वहां हेपेटाइटिसबीका टीका करने पहुंची एक एनजीओ की टीम के बारे में जानकारी ली गई तो सीएमओ ने स्पष्ट रुप से इसे नाकार दिया। जबकि वहीं टीकाकरण वाली टीम कार्ड बनाने के नाम पर हर घर से प्रति व्यक्ति दस-दस रुपये वसूल कर रही है। लेकिन सवाल यह कि गांव में कोई भी प्राइवेट व्यक्ति आए हैपेटाइटिस बी जैसे संवेदनशील टीका लगाने की बात करे तो उन पर विश्वास कैसे कोई कर ले।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 09:30 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 08:12 AM (IST)
गांवों में हेपेटाइटिस-बी के टीकाकरण पर संदेह, सीएमओ ने नकारा
गांवों में हेपेटाइटिस-बी के टीकाकरण पर संदेह, सीएमओ ने नकारा

जागरण संवाददाता, बेरूआरबारी (बलिया) : टीकाकरण के नाम पर स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किस तरह गांव की भोली-भाली जनता को भ्रमित किया जाता है इसका उदाहरण शुक्रवार को विकासखंड बेरूआरबारी के करम्मर गांव में देखने को मिला। वहां हेपेटाइटिस'बी'का टीका करने पहुंची एक एनजीओ की टीम के बारे में जानकारी ली गई तो सीएमओ ने स्पष्ट रुप से इसे नाकार दिया। जबकि वहीं टीकाकरण वाली टीम कार्ड बनाने के नाम पर हर घर से प्रति व्यक्ति दस-दस रुपये वसूल कर रही है। लेकिन सवाल यह कि गांव में कोई भी प्राइवेट व्यक्ति आए, हैपेटाइटिस बी जैसे संवेदनशील टीका लगाने की बात करे तो उन पर विश्वास कैसे कोई कर ले।

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ग्राम सभा करम्मर के गांधीनगर गांव में टीकाकरण के नाम पर एक स्वयंसेवी संस्था की दो टीमें पहुंची और हर घर से प्रति व्यक्ति दस रुपये कार्ड बनाने के नाम पर ले रही थी। गांव के ही एक व्यक्ति ने इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की अनुमति आदि से जुड़ी पूछताछ की तो सीएमओ द्वारा पिछले वर्ष 29 अक्टूबर 2019 का पत्र टीम ने दिखाया। जब सीएमओ से फोन कर इसकी जानकारी ली गई तो उन्होंने फिलहाल ऐसा कोई सर्वे नहीं होने की बात कही। वहीं बेरूआरबारी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी शशि प्रकाश से बात की गई तो उन्होंने विभागीय पत्र का हवाला देते हुए इसे सही बताया। अब कोई विश्वास करें तो किस पर करे। सीएमओ प्रीतम मिश्र ने स्पष्ट रुप से बताया कि मेरे द्वारा ऐसी कोई अनुमिति नहीं दी गई है। यह टीका बच्चों को लगता है, कुछ बड़े लोग इसे शौकिया लेते हैं। इस तरह के किसी भी अभियान की संपूर्ण जानकारी विभाग को रहती है। स्वयं सेवी संस्थाओं को इसका जिम्मा जरूर दिया जाता है, लेकिन मेरे माध्यम से ऐसा कुछ नहीं किया गया है। समाज में किसी भी तरह का भ्रम फैलाना उचित नहीं है। इस तरह का टीकाकरण काफी संवेदनशील होता है। विभाग की ओर से इसके लिए प्रचार-प्रसार होता है, इसके बावजूद भी कोई संस्था ऐसा कर रही है तो उसकी जांच कर कार्रवाई होगी। उन्होंने सर्वजनिक रुप से अपील भी किया है कि किसी को भी इस तरह के भ्रम में पड़ने की कोई जरूरत नहीं है। कहीं एमओआईसी की मिलीभगत से ऐसा खेल तो नहीं

स्वास्थ विभाग के मुखिया को हेपेटाइटिस'बी'के टीकाकरण अभियान की जानकारी नहीं है और प्रभारी चिकित्साधिकारी इसे सही मांगते हैं। इस भ्रम की स्थिति में ऐसा सवाल उठना लाजमी है कि प्रभारी चिकित्साधिकारी और संबंधित स्वयंसेवी संस्था की मिलीभगत से तो कहीं गांव की भोली-भाली जनता से वसूली नहीं हो रही। हालांकि यह तो जांच का विषय है, पर अगर ऐसा सच निकला तो एक दिन में लाखों रुपये गांव की जनता से वसूल किए जा रहे हैं।


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