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मेले में जलेबी संग सब्जी खाने की अभी भी चल रही परंपरा

रानीगंज के निकट सुदिष्टपुरी में अगहन सूदी पंचमी एक महीने तक चलने वाले ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा के मेले में सब्जी संग जलेबी खाने की है परंपरा। यहां सुदिष्ट बाबा के दर्शन करने या मेला घूमने या खरीदारी करने जो भी आता है सब्जी के साथ जलेबी का स्वाद लेना नहीं चूकता। प्रति दिन इस मेले में सैकड़ों कुंतल जलेबी की बिक्री होती है। दुकानदार जलेबी संग सब्जी मुफ्त में देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 05:37 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 05:37 PM (IST)
मेले में जलेबी संग सब्जी खाने की अभी भी चल रही परंपरा
मेले में जलेबी संग सब्जी खाने की अभी भी चल रही परंपरा

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया): रानीगंज के निकट सुदिष्टपुरी में अगहन सूदी पंचमी एक महीने तक चलने वाले ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा के मेले में सब्जी संग जलेबी खाने की है परंपरा। यहां सुदिष्ट बाबा के दर्शन करने या मेला घूमने या खरीदारी करने जो भी आता है, सब्जी के साथ जलेबी का स्वाद लेना नहीं चूकता। प्रति दिन इस मेले में कई क्विंटल जलेबी की बिक्री होती है। दुकानदार जलेबी संग सब्जी मुफ्त में देते हैं।

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क्षेत्र के पुराने लोग सैकड़ों वर्ष पूर्व सुदिष्ट बाबा धनुष यज्ञ का आयोजन करते थे। यहां गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह संपन्न होता था। उस समय सुदिष्ट बाबा इस मेले में शामिल होने वाले साधु-संतों सहित आम लोगों को पूड़ी, जलेबी व सब्जी खिलाते थे। सुदिष्ट बाबा के समाधि लेने के बाद मेले का स्वरूप भी पूरी तरह आधुनिक हो गया। पूड़ी, जलेबी व सब्जी की जगह जलेबी व सब्जी खाने की परंपरा शुरू हो गई। पूरे उत्तर भारत में यह एकमात्र मेला है, जहां जलेबी संग सब्जी का लुत्फ लोग उठाते हैं। मेले के एक तिहाई क्षेत्रफल में जलेबी व मिठाई की दुकानें होती है, शेष दो तिहाई में दो अन्य तरह की दुकानें। विगत एक दिसंबर से शुरू इस मेले में अभी अन्य तरह की दुकानें पूरी तह सजी भी नहीं है लेकिन जलेबी, सब्जी की बिक्री शुरू हो गई।

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कई जनपदों में पहुंचते हैं लोग

इस मेले में क्षेत्रीय लोगों के अलावा बलिया, छपरा, सीवान, भोजपुर व बक्सर जनपदों के श्रद्धालु आते हैं। सुदिष्ट बाबा के दर्शन पूजन कर जलेबी, सब्जी का आनंद लेकर चले जाते हैं। ऐसा नहीं है कि ग्रामीण इलाके के लोग या कम पढ़े-लिखे लोग इस मेले में जलेबी, सब्जी का आनंद लेते हैं बल्कि आइएएस, आइपीएस, पीसीएस अफसर जो इस क्षेत्र के रहने वाले हैं, इस मेले में जलेबी-सब्जी का आनंद लेते ही लेते हैं। इंजीनियर, डाक्टर, विधायक, सांसद भी इसमें पीछे नहीं रहते हैं। जिससे यहां जलेबी-सब्जी खाने की परंपरा को लोग अपने प्रतिष्ठा से जोड़कर देखते हैं।


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