मजदूरी न मिलने से मनरेगा श्रमिकों के समक्ष भुखमरी
जासं नगरा (बलिया) मजदूरों का पलायन रोकने व उन्हें गांव स्तर पर ही कार्य उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई मनरेगा योजना इस विकास खंड में श्रमिकों के लिए परेशानी का सबब बन गई है।
जासं, नगरा (बलिया) : मजदूरों का पलायन रोकने व उन्हें गांव स्तर पर ही कार्य उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई मनरेगा योजना इस विकास खंड में श्रमिकों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों में शामिल श्रमिकों की मजदूरी न मिलने से उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। आलम यह है कि इस कार्य में लगे मजदूर मजदूरी के लिए प्रधानों के दरवाजे का चक्कर काट रहे हैं। प्रधान भी श्रमिकों से छिपते फिर रहे हैं। ब्लाक सूत्रों की मानें तो 26 दिसंबर 2019 के बाद अब तक श्रमिकों के खाते में एक ढेला भी मजदूरी के रुप में नहीं आ सका है।
गत दो माह से मजदूरी के लिए श्रमिक परेशान हैं। मनरेगा के नियमों के अनुसार कार्य करने के 15 दिन के भीतर मजदूरी का भुगतान हो जाना चाहिए इससे इतर यहां के श्रमिकों को दो माह से मजदूरी नहीं मिल रही है। इस ब्लाक में 97 ग्राम पंचायतें हैं। इस तरह इस ब्लाक के मजदूरों का करीब छह लाख रुपए मजदूरी का बाकी है। सूत्र बताते हैं कि प्रधान भी चुनाव की आहट को देखते हुए राज्यवित्त व चौदहवें वित्त की धनराशि को जल्दी जल्दी खर्च करने में लगे हुए हैं। बजट मिलते ही होगा भुगतान
एपीओ अमित कुमार सिंह का कहना है कि मजदूरों की मजदूरी की धनराशि मंगाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। शासन से बजट मिलते ही मजदूरी का भुगतान कर दिया जाएगा।