धुरान की लेखनी व गीतों का भोजपुरी की लोकप्रियता में विशेष योगदान
जागरण संवाददाता, बलिया : भोजपुरी की नारदीय परंपरा व चइता लोकगायन के पितामह कहे जाने वाले स्व. वीरेंद
जागरण संवाददाता, बलिया : भोजपुरी की नारदीय परंपरा व चइता लोकगायन के पितामह कहे जाने वाले स्व. वीरेंद्र सिंह धुरान के योगदान को अक्षुण्ण रखने के लिए उनके नाम पर सरकार द्वारा भोजपुरी का कोई पुरस्कार या सम्मान की शुरुआत कराने का प्रयास किया जाएगा। उक्त बातें मुख्य अतिथि मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने धुरान स्मृति महोत्सव के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि धुरान के लेखनी व गीत से भोजपुरी की लोकप्रियता में बहुत बड़ा योगदान है, लेकिन आज के गायकों व रचनाकारों की भोजपुरी में मर्यादा की सख्त जरूरत है। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि व डा. जनार्दन राय ने मां सरस्वती व धुरान के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में लगभग दो दर्जन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से भोजपुरी लोकगायन को जीवंत कर दिया।
गायक कलाकारों में राधाकिशुनयादव, बंटी वर्मा, सुरेंद्र सिंह, तपेश्वर ठाकुर, विनय मिश्र, मुनीब साहनी, सोनू लाल, सुनीता पाठक, कमलेश देहाती, विदेशी लाल यादव, सत्येंद्र पांडेय, मारकंडेय गुप्त, उपेंद्र यादव आदि ने अपनी प्रस्तुति दी। वीरेंद्र सिंह धुरान लोक सांस्कृतिक सेवा संस्थान की ओर से धुरान सम्मान रामइकबाल सिंह को प्रदान किया गया। आभार संस्था के अध्यक्ष निर्भय नारायण सिंह व संचालन विजय बहादुर सिंह ने किया। कार्यक्रम की सफलता में पारस नादान, जितेंद्र जख्मी, बृजमोहन अनारी, अजय प्रताप सिंह, उपेंद्र सिंह, विनायक शरण सिंह, अंबुज सिंह, अंशु सिंह, आकाश सिंह, विमलेश सिंह, बंटी पांडेय, मंटू सिंह आदि का विशेष योगदान रहा।