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कभी नहाने को लगता था जमघट, आज खुद एक बूंद पानी की तरस

जागरण संवाददाता, सुखपुरा (बलिया): कभी कुआं एवं तालाब जल संरक्षण के मुख्य स्त्रोत हुआ करते थे

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 10:48 PM (IST)Updated: Wed, 04 Jul 2018 10:48 PM (IST)
कभी नहाने को लगता था जमघट, आज खुद एक बूंद पानी की तरस
कभी नहाने को लगता था जमघट, आज खुद एक बूंद पानी की तरस

जागरण संवाददाता, सुखपुरा (बलिया): कभी कुआं एवं तालाब जल संरक्षण के मुख्य स्त्रोत हुआ करते थे। आज कुआं का अस्तित्व तो लगभग समाप्त प्राय है जो बचे खुचे हैं वह लोगों के बहारन फेंकने के काम आ रहे हैं। इससे बेहतर हाल तालाबों की भी नहीं है। ऐसा कोई गांव नहीं जहां पूर्व में 2 से 4 तालाब नहीं हुआ करते थे आज तालाबों की संख्या दिन प्रतिदिन से घटती जा रही है। लोगों में तालाबों के प्रति जागरुकता की कमी इसका मुख्य कारण है ।आम से खास जन सरकार और ग्राम पंचायतों के भरोसे तालाबों के अस्तित्व को बचाने को छोड़ रखा है। लोगों की सोच है कि तालाबों का रखरखाव सरकारों के जिम्मे हैं या ग्राम पंचायतों के, यही सोच तालाबों के अस्तित्व पर संकट पैदा कर रही है। कुछ ऐसा ही हाल कस्बे के विशेन डेरा पर स्थित तालाब की है। कभी यह तालाब पूरे वर्ष पानी से लबालब भरा रहता था आज पूरी तरह सूख गया है। जहां गर्मी में बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएं दिन भर स्नान कर गर्मी से राहत पाती थी। आज यह तालाब खुद पानी की एक बूंद के लिए तरस कर रह गया है। तालाब के चारों ओर के पानी के स्त्रोत बंद हो गए हैं। कहीं से पानी आने की गुंजाइश नहीं बची है। आसमानी बारिश के अलावा इस तालाब में कहीं से पानी का एक कतरा भी नहीं पहुंच सकेगा। स्थिति यह हो गई है कि तालाब के चारों ओर झाड़ झंखाड़ व गंदगी का साम्राज्य व्याप्त है। इनमे जीव जंतुओं ने अपना बसेरा बना लिया है। दिन में लोगों को तालाब के किनारे जाने पर भय लगता है। ऐसा नहीं है कि इस तालाब की साफ-सफाई नहीं की गई। साफ सफाई की गई लेकिन उसे बरकरार नहीं रखा गया। पिछले वर्ष ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा के तहत तालाब की साफ-सफाई की गई थी लेकिन इन एक वर्ष में ही तालाब की हालत जस की तस हो गई। तालाब की ऐसी हालत का दोष किसे दिया जाए सरकार को, ग्राम पंचायत को या लोगों की सोच को। तालाब मानव जीवन के लिए बराबर उपयोगी रहेगा। तालाब के किनारे बसे लोगों को तालाब के संरक्षण और संवर्धन का बीड़ा खुद उठाना होगा तभी यह तालाब अपना पुराना रूतबा प्राप्त कर सकेगा। वैसे भी जल संरक्षण और संवर्धन करना प्रत्येक मानव का कर्तव्य है। हमे स्वयं इसकी पहल करने की भी जरूरत है।

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