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विभागीय उपेक्षा से शो-पीस बनी नगरा पानी टंकी

क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन को पूरी तरह से अमली जामा पहनाए बगैर कई गांवों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है जबकि उन गांवों के लोग शौचालयों के निर्माण के लिए कभी ब्लाक कार्यालय तो कभी विकास भवन का चक्कर लगा रहे हैं। आज भी सैकड़ों लोग शौच के लिए खेतों में जाने को मजबूर हैं। चाहे बैरिया विकास खंड हो या मुरली छपरा अथवा बेलहरी सभी विकास खंडों में जो भी गांव ओडीएफ घोषित किए गए हैं वहां आज भी लोग शौचालयों के अभाव में खुले में शौच जाने को विवश हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 12:46 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 12:46 AM (IST)
विभागीय उपेक्षा से शो-पीस बनी नगरा पानी टंकी
विभागीय उपेक्षा से शो-पीस बनी नगरा पानी टंकी

जागरण संवाददाता, नगरा (बलिया) : इस भीषण गर्मी के मौसम में नगरावासी स्वच्छ जल के लिए तरस गए हैं। एक करोड़ रुपये की लागत से एक दशक पूर्व बनी नगरा की पानी टंकी विभागीय उपेक्षा के चलते शो-पीस बनी हुई है। दुख तो यह है कि बाजार में पाइप बिछाए जाने के बाद भी नगरवासियों को स्वच्छ जल मुहैया नहीं हो सका है। एक दशक पूर्व जब इस टंकी का निर्माण हुआ था तो लोगों को लगा कि अब उन्हें स्वच्छ जल मिल सकेगा। निर्माण के बाद तत्कालीन दो विधायकों राम इकबाल सिंह व सनातन पांडेय ने टंकी का लोकार्पण किया था।

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पिछली सपा सरकार में तत्कालीन विधायक गोरख पासवान ने टंकी निर्माण में हुए गोलमाल की जांच भी कराई थी। बाद में किसी के दबाव में विधायक के भी तेवर ढीले पड़ गए थे। नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। न तो दोषियों को दंड मिला, न टंकी से जलापूर्ति ही शुरू हो सकी। प्रदेश में सत्ता बदली व निजाम भी बदले, लोगों को लगा कि भाजपा सरकार में टंकी जरूर चालू हो जाएगी, कितु नतीजा सिफर रहा। हालांकि बिल्थरारोड के भाजपा विधायक ने भी टंकी को चालू कराने का आश्वासन दिया था इसके बावजूद आज तक टंकी से जलापूर्ति शुरू नहीं हो सकी। अब तो टंकी भी जर्जरावस्था में पहुंच चुकी है। टंकी से रिसाव होने लगा है।

टंकी पर एक आपरेटर की नियुक्ति भी है कितु उसका दर्शन कभी नहीं होता है। समाजसेवी विजयशंकर यादव का कहना है कि जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से टंकी बदहाल स्थिति में है। शिक्षक राजबहादुर सिंह अंशू का कहना है कि विभागीय लापरवाही से टंकी शोपीस बनी हुई है। जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे टंकी को चालू कराने का प्रयास करें। व्यापारी नेता कृपाशंकर बरनवाल का कहना है कि पानी टंकी चालू कराने को लेकर न तो कोई जनप्रतिनिधि ही संवेदनशील है न ही विभाग। चिकित्सक डा. शशिप्रकाश कुशवाहा का कहना है कि स्वच्छ पेयजल के लिए यहां की जनता तरसती ही रह गई, लेकिन टंकी अब तक चालू नहीं हो सकी। अब तो टंकी में पड़ी दरारें भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रही हैं।

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