25 हजार वर्ष बाद तक के मानव जीवन की चिता कर रहे वैज्ञानिक
जागरण संवाददाता बिल्थरारोड (बलिया) नासा का हिस्सा बने भारतीय मूल के अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक
जागरण संवाददाता, बिल्थरारोड (बलिया): नासा का हिस्सा बने भारतीय मूल के अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक डा. विनय सिंह चेन्नई में मिले प्रेस्टीजियम सांइटिस्ट एवार्ड के साथ गुरुवार को पहली बार अपने गृह जनपद पहुंचे। जिनका बिल्थरारोड जिला पंचायत डाकबंगला में भव्य स्वागत समारोह किया गया। नपं चेयरमैन दिनेश कुमार गुप्ता संग बिल्थरावासियों व ताड़ीबड़ागांव के लोगों ने फूलमालाओं से लादकर बलिया के बेटे अंतरिक्ष वैज्ञानिक का जोरदार अभिनंदन किया। चेयरमैन ने उन्हें अंगवस्त्रम व स्मृतिचिह्न से सम्मानित किया। साथ ही अंतरिक्ष वैज्ञानिक डा. सिंह की पत्नी मीरा सिंह व माता कपिला देवी का भी स्वागत किया गया। गायक अरशद हिदुस्तानी ने स्वागत गीत गाया। डा. विनय सिंह ने करीब 10 वर्ष तक इसरो और लंबे समय से नासा में बतौर अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि आवश्यकता की पूर्ति के लिए नई चीजों को इजाद करने व धरती पर लाने वाले को ही वैज्ञानिक कहते है। जो सही मायने में धरती के दूसरे भगवान है। आज उनकी वैज्ञानिक टीम 25 हजार वर्ष बाद भी मानव जीवन को बचाएं रखने के लिए कार्य कर रही है। साथ ही ब्रह्मांड में मानव जीवन के रहने लायक दूसरे ग्रह व तारों की खोज में लगे है। कहा कि 25 हजार वर्ष बाद पृथ्वी व सूर्य के टकराने की खगोलीय घटना की आशंका को टालने के लिए दुनिया के वैज्ञानिक लगे हुए है। इस मौके पर सुभाषचंद्र गुप्ता, ओमप्रकाश गुप्ता, अंजय राव, सतीश गुप्ता, राममनोहर गांधी, हरिकेश सिंह, अमरजीत चौरसिया, चंचल, अशोक सिंह, पिक्की वर्मा, सज्जन आर्य, बबलू प्यारे आदि मौजूद थे।