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केंद्रीय औषधि भंडार में फार्मासिस्ट की तैनाती पर बेचैनी

केंद्रीय औषधि भंडार में फार्मासिस्ट की तैनाती पर बेचैनी

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 07:01 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 10:26 PM (IST)
केंद्रीय औषधि भंडार में फार्मासिस्ट की तैनाती पर बेचैनी
केंद्रीय औषधि भंडार में फार्मासिस्ट की तैनाती पर बेचैनी

लवकुश सिंह, बलिया

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पुलिस विभाग के अधीन चिकित्सालय में तैनात चीफ फार्मासिस्ट अरूण सिंह मार्च से अब तक दो बार तैनात हुए और दो बार उन्हें केंद्रीय औषधि से वापस होना पड़ा। वह जब भी कोई तिकड़म लगाकर स्वास्थ्य विभाग के केंद्रीय औषधि भंडार में तैनात हो रहे हैं, विभाग में भी चर्चाओं का बाजार गर्म हो रहा है। उनके विभागीय पुराने कारनामे परत-दर-परत खुलने लग रहे हैं। इसके बावजूद केंद्रीय औषधि भंडार में तैनाती को लेकर अजीब सी बेचैनी देखी जा रही है। इस बात के लेकर आमलोग भी ताज्जुब में हैं। सभी एक-दूसरे से सवाल कर रहे हैं कि औषधि भंडार में ऐसा कौन सा धन कुबेर का खजाना छिपा है, जिसमें तैनाती के लिए सारे तिकड़म लगाए जा रहे हैं। केंद्रीय औषधि भंडार में सोमवार को पुलिस चिकित्सालय में तैनात मुख्य फार्मासिस्ट अरुण कुमार सिंह केंद्रीय औषधि भंडार में तैनाती का आदेश सीएमओ के द्वारा जारी कराने में सफल हो गए थे, लेकिन इस आदेश के साथ ही उनके विरुद्ध शोर भी तेज हो गए। नतीजा यह निकला कि मंगलवार को सीएमओ को तैनाती के उस आदेश को ही स्थगित करना पड़ा। यहां सवाल यह कि आखिर क्यों सीएमओ को तैनाती के आदेश को स्थगित करना पड़ा। इस सवाल का सटीक जवाब जिम्मेदार भी देने से कतरा रहे हैं। इस संबंध में विभागीय जानकार बताते हैं कि कोई भी चीफ फर्मासिस्ट इसमें तैनाती को लेकर यूं ही बेचैन नहीं रहते, एक तरह से केंद्रीय औषधि भंडार धन कुबेर का ही खजाना है। सीएमओ के फर्जी लेटर पर मार्च में भी हुई थी तैनाती

केंद्रीय औषधि भंडार में विगत मार्च माह में भी सीएमओ के फर्जी लेटर पर तैनाती हुई था। तब दो मार्च को तत्कालीन सीएमओ की संस्तुति लेटर का हवाला देते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ की ओर से आठ मार्च को लेटर जारी करा कर पुलिस चिकित्सालय के अधीन तैनात चीफ फार्मासिस्ट अरूण सिंह केंद्रीय औषधि भंडार में तैनात हो गए थे। वहीं केंद्रीय औषधि भंडार केंद्र पर तैनात रामशरण को पुलिस चिकित्सालय के अधीन कर दिया था, लेकिन जब स्वयं तत्कालीन सीएमओ उमापति द्विवेदी ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ को पांच मार्च को एक पत्र भेज कर यह बताया कि केंद्रीय औषधि भंडार बलिया पर किसी की भी तैनाती के संबंध में उनके द्वारा कोई पत्र नहीं लिखा गया है।

यदि उनके हस्ताक्षर का कोई पत्र किसी ने दिया है तो वह पूरी तरह फर्जी है। तत्कालीन सीएमओ का यह पत्र जाते ही विभाग में हड़कंप मच गया। उन्होंने इस फर्जीवाड़े के लिए संबंधित पर कार्रवाई की भी संस्तुति की थी, लेकिन सभी जानते हैं कि स्वास्थ्य विभाग में दोषियों पर कार्रवाई कहां होती है। दागियों को सजा के तौर पर सिर्फ स्थानांतरण कर दिया जाता है। इसके बावजूद विभाग के दागी धुरंधर अपने नए स्थान पर नहीं रहते, वह बलिया में रह कर विभाग में अपने नए कारनामों को जन्म देते रहते हैं। विभागीय कुंडली खंगालें तो यहां दवा खरीद के मामले में कई बड़े घोटाले पूर्व में ही उजागर हो चुके हैं। उसकी जांच अभी भी दवा खरीद में फर्जीवाड़े के खेल से इनकार नहीं किया जा सकता।


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