अतिक्रमण की जद में रानीगंज बाजार, लोग परेशान
जागरण संवाददाता बैरिया (बलिया): हमेशा भीड़भाड़ से भरे रहने वाले क्षेत्र के रानीगंज बाजार
जागरण संवाददाता बैरिया (बलिया): हमेशा भीड़भाड़ से भरे रहने वाले क्षेत्र के रानीगंज बाजार में अतिक्रमण फैलता जा रहा है और संबंधित विभाग मूकदर्शक बना है। यहां तक कि चौक में पुलिस बूथ में अतिक्रमण दिख रहा है ¨कतु इन्हें दिखाई नहीं दे रहा है। लोग कयास लगा रहे हैं कि शायद यहां भी पुलिस की वसूली चल रही है।
लोगों की माने तो कुछ पुलिस वाले यहां खोमचे, ठेले और सड़क पर अतिक्रमण फैलाए लोगों से वसूली करते हैं। अगर पैसा नहीं मिलता है तो वे किसी से कोई समान तो किसी से अपने काम योग्य समान लेकर ही काम चला लेते हैं। कुछ दुकानदारों ने तो फुटपाथ व सड़क पर कब्जा कर उसे ठेले व खोमचों वाले दुकानदारों को भी किराए पर दे रखा है। यही कारण है कि अतिक्रमण विरोधी अभियान कभी रानीगंज बाजार की सूरत नहीं बदल सका। चार दिनों की सख्ती के बाद मुट्ठी गर्म हो जाती है और फिर वह धीरे-धीरे ढीले पड़ जाते हैं, फिर सड़कों पर पटरी दुकानदार काबिज हो जाते हैं। ठेलों की कतार सड़कों को पाट देती है, नालियों पर खाने पीने के सामान बिकने लगते हैं। यही नहीं रानीगंज बाजार चौक पर बने पुलिस बूथ के करीब फलों की दुकानें तो लगती ही है, ¨कतु हद तो तब हो जाती है जब पुलिस बूथ ही फल की दुकान से सज जाती है और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती हैं। इस बजार में करीब सैकड़ों दुकाने पटरी पर कब्जा कर रोजाना सजती है और फिर एक लंबा अतिक्रमण दिखाई देने लगता है। इधर नजर दौड़ाए अतिक्रमण ही दिखता है जाम के झाम में राहगीरों व खरीददारों की दुश्वारियां उन्हें उफ कहने के लिए मजबूर कर देती हैं। अब सवाल यह उठता है कि रोजी-रोटी का पटरी दुकानदारों के भविष्य का अगर ये पटरी पर दुकान न लगाए तो फिर जाएं तो कहां जाएं। उनके घरों के चूल्हे नहीं जलेंगे तो बच्चे भूखे सो जाएंगे। यहां के पटरी दुकानदारों को भी विस्थापित करने की कोई योजना नजर नहीं आती।
यहां के लोगों की मानें तो अनेक बार अतिक्रमण विरोधी अभियान चला और वे बर्बाद हुए ¨कतु उन्हें कहीं बसाया नहीं गया। इन पटरी दुकानदारों को स्थाई रूप से दुकान लगाने व रानीगंज बाजार को खूबसूरत बनाने और जाम से लोगों को मुक्ति दिलाने के सभी प्रयास नाकाम साबित होते नजर आ रहे हैं। इसके लिए जमीन पर कोई योजना नहीं बनी, न तो कोई सर्वे हुआ। इससे यह कि पता चले फुटपाथ पर कितनी दुकाने हैं और न ही कोई ऐसी जगह तलाश की गई जहां पटरी दुकानदारों को दुकान लगाने की बात हो और अतिक्रमण से मुक्ति मिले। अगर पूरे बस्ती शहर का सर्वे कराएं तो ऐसे एक दर्जन फुटपाथ हैं, जहां पटरी दुकानदारों की संख्या एक हजार से कम नहीं होगी ¨कतु संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी इस पर ध्यान नहीं देते हैं।