लखनेश्वरडीह को जनप्रतिनिधियों किया उपेक्षित
पुरातात्विक ²ष्टिकोण से समृद्ध लखनेश्वरडीह का इलाका पौराणिक ही नहीं अपितु पर्यटन के ²ष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। मगर अफसोस, धार्मिक व पुरातन इस स्थान की ओर किसी की नजर नहीं जा रही है। रसड़ा तहसील मुख्यालय से करीब सात किमी दक्षिण तमसा नदी के तट पर स्थित लखनेश्वरडीह का किला पौराणिक पहलुओं को भी खुद में समेटे हुए हैं। भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने यहां शिव¨लग की स्थापना अपने हाथों से की थी। इसका उल्लेख रामायण में किया गया है।
इश्तियाक अहमद
जागरण संवाददाता, रसड़ा (बलिया) : पुरातात्विक ²ष्टिकोण से समृद्ध लखनेश्वरडीह का इलाका पौराणिक ही नहीं अपितु पर्यटन की ²ष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। मगर अफसोस, धार्मिक व पुरातन महत्व के इस स्थान की ओर किसी की नजर नहीं जा रही है। रसड़ा तहसील मुख्यालय से करीब सात किमी दक्षिण तमसा नदी के तट पर स्थित लखनेश्वरडीह का किला पौराणिक पहलुओं को खुद में समेटे हैं।
भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने यहां शिव¨लग की स्थापना अपने हाथों से की थी। इसका उल्लेख रामायण में किया गया है। विडंबना यह है कि इस तरह के ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए अब तक कोई पहल नहीं हुई है। खास बात यह है कि लखनेश्वरडीह किला के पास ही खेतों की जुताई के दौरान भगवान विष्णु की काले पत्थर की प्रतिमा मिली थी। जहां आज भव्य मंदिर का निर्माण कर दिया गया है। स्नान पर्व के दिन तो यहां पूजन-अर्चन को श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। यह क्षेत्र पुरातत्व विभाग व भूगर्भशास्त्रियों के लिए भी शोध का विषय रहा है। इस क्षेत्र को पर्यटन केंद्र के रूप में अगर विकसित कर दिया जाय तो इससे एक तरफ क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा वहीं राजस्व में भी वृद्धि होगी।
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घोषणाओं को नहीं मिली उड़ान
इस क्षेत्र को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की घोषणा कई जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई लेकिन ये रात गई बात की तर्ज पर घोषणाएं कथनी तक ही सीमित होकर रह गई। इनको उड़ान भरने का मौका ही नहीं मिला। विभिन्न दलों के नेताओं की घोषणाएं हवा-हवाई साबित हुई हैं। किसी भी जनप्रतिधि ने इस पहलू को गंभीरता से नहीं लिया।