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बदहाली पर आंसू बहा रहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छाता

क्षेत्र के ताड़ीबडागांव स्थित सुभाष इंटर कालेज के पास एक दशक पूर्व अ‌र्द्धनिर्मित पुस्तकालय भवन प्रशासनिक उपेक्षा व गोलमाल की कहानी बयां कर रहा है। साल 200

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 07:46 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 06:10 AM (IST)
बदहाली पर आंसू बहा रहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छाता
बदहाली पर आंसू बहा रहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छाता

बांसडीहरोड (बलिया) : हजारों की आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए जिम्मेदार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छाता इन दिनों पूरी तरह बदहाल है। दु‌र्व्यवस्था की चपेट में आकर यह केंद्र जनपद की चिकित्सा व्यवस्था से परित्यक्त पड़ा हुआ है। आलम यह है कि उक्त स्वास्थ्य केंद्र पर न तो डाक्टर की तैनाती है और न ही किसी तरह की कोई उपचार की सुविधा उपलब्ध है। सिर्फ एक फार्मासिस्ट की तैनाती है जो कि पूर्ण रूप से चौकीदार बनकर अस्पताल खोलने व बंद करने तक ही सीमित है।

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स्वास्थ्य सुरक्षा के नाम और यहां वर्षो से कोई दवाई या मलहम कुछ नही आया और न ही किसी को कोई चिकित्सा सुविधाएं मिली हैं। कुछ एक लाल हरे रंग की बोतलों में बिटाडीन व कुछ टेबलेट टेबल पर पड़े हुए है लेकिन इनकी किसी को कोई आवश्यकता ही नही या यों कहें तो यहां दवाई की कोई जरूरत ही नही है। विभाग द्वारा उपेक्षित इस स्वास्थ्य केंद्र की हालत इतनी चर्चाएं है कि भूले से भी कोई स्थानीय ग्रामीण यहां इलाज के लिए नही पंहुचता। अब दवाखाना खुला है तो कुछ काम भी होना चाहिए लिहाजा एक रजिस्टर जिसमें मरीजों का विवरण दर्ज करना है। उसमें जिम्मेदार समय से अपने सुविधानुसार अपने ही कुछ लोगों राजू मंटू बबलू लिख कर उनका उपचार कर देते है और इसी हाल में अस्पताल का आरोग्य रथ बिना किसी रुकावट के वर्षो से लगातार चल रहा है। आस पास कूड़े व गंदगी का ढेर लगा है चारो तरफ झाड़ियां फैली हुई है।

स्वास्थ्य केंद्र के बिना खिड़की दरवाजों के आवासों में पियक्कड़ व अराजक तत्व अपनी शामें रंगीन करते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद किसी जिम्मेदार को इसकी समस्या की कोई परवाह नही है। परिसर में हर तरफ देसी शराब की बिखरी हुई शीशियों के अंबार इसकी रंगरलियों की कहानी बयां कर रहे है कि आखिरकार किस तरह शाम ढलते ही यहां नशेड़ियों का साम्राज्य कायम हो जाता है। कहने को एक फार्मासिस्ट को यहां तैनात कर दिया गया है जो कि अपनी इस तैनाती से खुद को धन्य मानकर मनमर्जी से आते जाते रहते हैं।

स्थानीय लोगों की शिकायत है कि किसी भी समस्या को लेकर जाने पर न तो कोई ढंग का इलाज होता है और न ही कोई दवाई मिलती है। स्थिति यह है कि यदि एक साथ कुछ घायल चले आएं तो उन्हें प्राथमिक उपचार देकर जिला अस्पताल तक भेजने के लिए रुई पट्टी तक उपलब्ध नही है। विभागीय उपेक्षा का शिकार होकर यह अस्पताल आम जनता के लिए पूरी तरह निष्प्रयोज्य हो गया है। सिर्फ नाम का अस्पताल जहां किसी को कोई स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में असमर्थ है वहीं दूसरी तरफ जनपद की चिकित्सा व्यवस्था के प्रबंधन पर भी बड़ा सवाल है।


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