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ध्वस्त पठन-पाठन के बीच परीक्षा में नकेल की तैयारी

जिले के इंटर कालेजों में धवस्त पठन-पाठन की व्यवस्था के बीच यूपी बोर्ड परीक्षा की की उलटी गिनती शुरू हो गई है। आगामी छह फरवरी से यूपी बोर्ड परीक्षा शुरू कराने की घोषणा हुई है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यह कि हाई स्कूल और इंटर में स्कूल की पढ़ाई के भरोसे रहने वाले छात्र बोर्ड परीक्षा में क्या लिखेंगे यह शासन स्तर पर बड़ा सवाल है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 10:36 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 10:36 PM (IST)
ध्वस्त पठन-पाठन के बीच परीक्षा में नकेल की तैयारी
ध्वस्त पठन-पाठन के बीच परीक्षा में नकेल की तैयारी

-राजकीय इंटर कालेजों की संख्या 30

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-अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय 91

-वित्तविहिन विद्यालयों की संख्या 479

-अभी तक 10वीं व 12वीं के परीक्षार्थी-एक लाख 71 हजार

-2019 की बोर्ड परीक्षा के लिए बने कुल 224 परीक्षा केंद्र --लवकुश ¨सह

------------------- जागरण संवाददाता, बलिया : जिले के इंटर कालेजों में ध्वस्त पठन-पाठन की व्यवस्था के बीच यूपी बोर्ड परीक्षा की की उलटी गिनती शुरू हो गई है। आगामी छह फरवरी से यूपी बोर्ड परीक्षा शुरू कराने की घोषणा हुई है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यह कि हाई स्कूल और इंटर में स्कूल की पढ़ाई के भरोसे रहने वाले छात्र बोर्ड परीक्षा में क्या लिखेंगे यह शासन स्तर पर बड़ा सवाल है। शासन स्तर से नकल पर नकेल की इस साल भी बड़ी तैयारी है। जिले के डीआइओएस भाष्कर मिश्र ने 2019 की बोर्ड परीक्षा के लिए जनपद में 224 परीक्षा केंद्रों को वायस रिकार्डर युक्त सीसीटीवी कैमरा लगाने का निर्देश दिया है। वहीं पलट जिले के इंटर कालेजों पर नजर डालें तो बहुत से कालेजों में मुख्य विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। वहां मुख्य विषयों के पहले पाठ की भी पढ़ाई नहीं हुई है। ऐसे में स्कूल के भरोसे रहने वाले परीक्षार्थी अपनी तैयारी कैसे करेंगे और परीक्षा में क्या लिखेंगे, सहज अनुमान लगाया जा सकता है। आम अभिभावक भी नकल पर नकेल को अच्छा मानते हैं ¨कतु कसक इस बात का है कि इस नकेल के साथ सभी कालेजों में पठन-पाठन की व्यवस्था पर भी विभाग और शासन को गंभीर होना चाहिए। जिले में कुल राजकीय इंटर कालेजों की संख्या 30 है। वहीं अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय 91 और वित्तविहिन विद्यालयों की संख्या 479 है। औसतन एक कालेज में प्रधानाचार्य के अलावा कम से कम सात टीचर, एक कलर्क और एक परिचारक हर हाल में जरूरी हैं। जबकि जिले के अधिकांश इंटर कालजों में कहीं तीन तो कहीं चार शिक्षकों से कालेजों का संचालन किया जा रहा है। जीजीआईसी तक की दशा खराब है। सबसे खास यह कि गणित, अंग्रेजी, विज्ञान आदि प्रमुख विषयों के शिक्षकों का ज्यादा अभाव है। इस साल यूपी बोर्ड का रिजल्ट चाहे जिस वजह से अच्छी रहा ¨कतु कालेजों की जमीनी हकीकत को देख यही कहा जा सकता है कि इस परिवेश में उन छात्रों का भविष्य दांव पर है जो केवल स्कूल के भरोसे अपनी परीक्षा की तैयारी में लगे हैं।

--उदासीनता से नहीं संवर रहा भविष्य

सरकारी उदासीनता के चलते ही बहुत गरीब अभिभावक चाह कर भी अपने बच्चों का भविष्य संवारने में विफल साबित हो रहे हैं। रिजल्ट के बाद वही बच्चे ज्यादा अंक प्राप्त किए मिलते हैं जो स्कूल-कालेजों के अलावा किसी को¨चग में भी अपने पाठयक्रम की तैयारी कर रहे होते हैं। उन बच्चों के रिजल्ट का प्राप्तांक अच्छा नहीं होता है जो केवल स्कूल- कालेजों के भरोसे वर्ष भर अपने पूरे पाठयक्रम की तैयारी करते रहते हैं। उनके कम अंक आने पर जब अभिभावक सवाल उठाते हैं तो विद्यालय प्रबंधन की ओर से एक ही जवाब आता है कि केवल विद्यालय के भरोसे लाडले की तैयारी नहीं हो सकती।

---वर्जन----

बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या में आई है कमी

इस साल यूपी बोर्ड में हाईस्कूल और इंटर के एक लाख 71 हजार परीक्षार्थियों ने अभी तक फार्म भरा है। पिछले साल यूपी बोर्ड में हाई स्कूल और इंटर के 2,25,610 परीक्षार्थी थे। इस साल अभी संसोधन का कार्य बाकी है। इस साल परीक्षार्थियों की संख्या में कमी आई है।

-सुशील कुमार श्रीवास्तव, परीक्षा प्रभारी। ------वर्जन------

जनपद के सभी राजकीय इंटर कालेजों व अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों अवकाश प्राप्त शिक्षकों को भी संविदा पर बुलाया गया है। उन्हें उनकी मंशा के अनुसार विभिन्न विद्यालयों में तैनात किया जा रहा है। इसके बावजूद भी शिक्षकों की अभी कमी है। उम्मीद है कि अगले सत्र में प्रर्याप्त शिक्षक जिले को मिल जाएंगे। पठन-पाठन की स्थिति को हर हाल में सुधारने का प्रयास चल रहा है।

--भाष्कर मिश्र, जिला विद्यालय निरीक्षक


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