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राहत सामग्री वितरण को लेकर चौतरफा राजनीति हुई शुरू

जागरण संवाददाता, बांसडीहरोड (बलिया): सुरहा के जल पीड़ितों को राहत सामग्री के वितरण को लेकर क्षेत्र मे

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 09:28 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 09:28 PM (IST)
राहत सामग्री वितरण को लेकर चौतरफा राजनीति हुई शुरू
राहत सामग्री वितरण को लेकर चौतरफा राजनीति हुई शुरू

जागरण संवाददाता, बांसडीहरोड (बलिया): सुरहा के जल पीड़ितों को राहत सामग्री के वितरण को लेकर क्षेत्र में अब एक विवाद और चर्चा का सूत्रपात हो गया है। मंत्री आंनद स्वरूप शुक्ल के निर्देश पर तहसील प्रशासन द्वारा बुधवार को बांसडीहरोड थाने में कई गांव के ग्रामीणों को राहत सामग्री का वितरण किया गया। वितरण शुरू होने के साथ ही इसे लेकर विरोध के स्वर मुखर होने लगे। सर्वप्रथम विरोध की आवाज सलेमपुर ग्राम पंचायत से उठी जहां ग्राम प्रधान ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके गांव के पीड़ितों की संख्या अन्य गांवों के सापेक्ष कम कर दी गई है। इसी क्रम में श्रीपुर के कुछ लोगों ने कहा कि कुछ वास्तविक जल प्लावन के पीड़ितों को राहत सूची से बाहर रखा गया है। मामले में सलेमपुर प्रधान ने एसडीएम से शिकायत की तो उनके गांव के खाते में कुछ और पीड़ितों की बढ़ोतरी कर दी गयी। बस इसके बाद जैसे यह सिलसिला चल निकला। अगले दिन लगभग हर गांव से इसे लेकर आवाजें उठने लगी। लखनऊ से आई पैकेट ग्रामीणों को इतना भा गयी कि लोग अपने-अपने कथित नेताओं से इसे लेकर शिकायत करने लगे। इसके बाद एक बार फिर से मामले में राजनीति सक्रिय हुई और मंत्री से लेकर एसडीएम व तहसीलदार तक शिकायत पहुंचने लगी। किसी को एसडीएम ने तीस पीड़ितों को वितरण की अनुमति दे दी तो कहीं तहसीलदार ने बीस पीड़ितों को राहत सामग्री देने के आदेश दे दिए। बस इसके बाद शुक्रवार को इसे लेकर चौतरफा बवाल की रूपरेखा शुरू हो गई। मामले ने ऐसी करवट ली कि राहत सामग्री गांवों में प्रधान बनाम पूर्व प्रधान की खैरात बन कर रह गई। इसी में प्रधानी की तैयारी में जुटे नए कलाबाज भी खुद को कहीं न कहीं से राहत सामग्री से पोषित करते हुए कुछ वितरण कराने में सफल हुए तो इसी के साथ वर्तमान प्रधानों की भौहे तननी शुरू हो गई। इसे लेकर अब शिकायतों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। राहत सामग्री के वितरण पूरी तरह राजनीतिक द्वंद्व का शिकार बनकर रह गया है। मामले में लेखपालों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है क्योंकि इन्ही की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जल पीड़ितों की सूची बनाई गई थी। फिलहाल राहत सामग्री के वितरण ने किसी को अपनी नेतागिरी दिखाने का मौका दे दिया है तो कहीं ये किसी की बरसों की नेतागिरी पर भारी पड़ रही है।

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