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संस्कृति, जीवन मूल्यों से कटी शिक्षा नहीं हो सकती हितकर : जेएस राजपूत

जागरण संवाददाता बलिया पंडित दीन दयाल उपाध्याय शोधपीठ जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के तत्वावधान में भारतीय ज्ञानार्जन परंपरा के उभरते उत्तरदायित्वविषयक ऑनलाइन व्याख्यान हुआ। मुख्य वक्ता एनसीईआरटी दिल्ली के रिटायर्ड डायरेक्टर पद्मश्री प्रोफेसर जेएस राजपूत ने कहा कि अपनी संस्कृति परम्पराओं जीवन मूल्यों और भाषा से कटी हुई शिक्षा हमारे लिए हितकर नहीं हो सकती। शिक्षा का उद्देश्य एक ऐसे मनुष्य का निर्माण करना है जो मनुष्य से देवत्व की ओर अग्रसर हो। भारतीय ज्ञानार्जन की समृद्ध परंपरा के बल पर ही हम एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 05:31 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 05:31 PM (IST)
संस्कृति, जीवन मूल्यों से कटी शिक्षा नहीं हो सकती हितकर : जेएस राजपूत
संस्कृति, जीवन मूल्यों से कटी शिक्षा नहीं हो सकती हितकर : जेएस राजपूत

जागरण संवाददाता, बलिया : पंडित दीन दयाल उपाध्याय शोधपीठ, जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के तत्वावधान में 'भारतीय ज्ञानार्जन परंपरा के उभरते उत्तरदायित्व' विषयक ऑनलाइन व्याख्यान हुआ। मुख्य वक्ता एनसीईआरटी दिल्ली के रिटायर्ड डायरेक्टर पद्मश्री प्रोफेसर जेएस राजपूत ने कहा कि अपनी संस्कृति, परम्पराओं, जीवन मूल्यों और भाषा से कटी हुई शिक्षा हमारे लिए हितकर नहीं हो सकती। शिक्षा का उद्देश्य एक ऐसे मनुष्य का निर्माण करना है जो मनुष्य से देवत्व की ओर अग्रसर हो। भारतीय ज्ञानार्जन की समृद्ध परंपरा के बल पर ही हम एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।

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जननायक चंद्रशेखर विवि की कुलपति प्रो.कल्पलता पांडेय ने कहा कि शिक्षा का तात्पर्य केवल विषयों का ज्ञान मात्र नहीं, बल्कि मनुष्य का चरित्रगत विकास, व्यक्तित्व का गठन और जीवन का निर्माण करना है। इसके लिए हमें ज्ञानार्जन की भारतीय परंपरा की ओर लौटना ही होगा। पंडित दीन दयाल उपाध्याय शोधपीठ के संयोजक डॉ.रामकृष्ण उपाध्याय ने कहा कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था का मूल उद्देश्य'सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया'में निहित है। व्याख्यान में डॉ.अनिल कुमार व डॉ.प्रमोद शंकर पाण्डेय मौजूद थे। संचालन डॉ.अजय बिहारी पाठक ने किया। आभार व्यक्त डॉ.दयालानंद राय ने किया।


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