एक अदद लाइट को तरस रहा स्पोर्ट्स स्टेडियम
-अंधेरे में वार्मअप करने को मजबूर हुए नगरवासी -अनजाने भय से भयभीत रहती हैं महिलाएं व बच्चियां जागरण संवाददाता, बलिया: गंवई परिवेश से खेल का ककहरा सिखने वाले दर्जनों होनहारों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंचाने वाला वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। कलेक्ट्रेट के नाक के नीचे अवस्थित इस ग्राउण्ड का कोई पूछनहार नहीं है। यह बिडंबना है कि सांसद से लेकर विधायक व मंत्री तक जिस जगह को मार्निंग वॉक के लिए सबसे ज्यादे मुफीद मानते हो,
जागरण संवाददाता, बलिया: गंवई परिवेश से खेल का ककहरा सिखने वाले दर्जनों होनहारों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंचाने वाला वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। कलेक्ट्रेट के नाक के नीचे अवस्थित इस ग्राउंड का कोई पूछनहार नहीं है। यह विडंबना है कि सांसद से लेकर विधायक व मंत्री तक जिस जगह को मार्निंग वॉक के लिए सबसे ज्यादा मुफीद मानते हो, वहीं आज आम आदमी के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। जी हां, यह जमीनी हकीकत है उस ग्राउंड का जिससे निकलकर एथलेटिक्स सतेन्द्र ¨सह ने अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर देश का नाम रौशन किया तो मृगेन्दु राय व प्रीति गुप्ता ने खो-खो में जिले की खास पहचान दिलाईं। यह तो बानगी भर है। ऐसे दर्जनों खिलाड़ियों का नाम इस फेहरिश्त में शामिल है जो अलग-अलग फन में अपना लोहा मनवाने के साथ देश व जिले का मान बढ़ा चुके हैं। आज भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी है, लेकिन नहीं हो तो वो व्यवस्थाएं जिसकी एक सरकारी संस्था से आशा की जाती है। व्यवस्था के नाम पर लगभग फिसड्डी हो चुका यह ग्राउंड आज एक अदद लाइट के लिए तरस रहा है। प्रतिभा की चकाचौंध से जिले का सम्मान बढ़ाने वाले इस स्टेडियम के नसीब में अंधेरा ही शुमार है। बताते चलें कि साल 2013-14 में तत्कालीन क्रीड़ाधिकारी राजेश सोनकर के प्रयासों से वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम में लगभग एक दर्जन सोलर लाइटें लगाई गईं थीं जो आज पूरी बंद हैं। हालत यह है की भोर में मोबाइल की लाइट जलाकर कोई टहलता नजर आता है तो कोई अंधेरी चादर को चीरकर दौड़ने का मानों आदी हो चुका है। सवाल यह है कि जब हाईप्रोफाइल ही दुर्व्यवस्था से आंखें फेर ले तो आमजन की क्या मजाल।