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सहकारी संघ भवन रुद्रवार ध्वस्त होने के कगार पर

जागरण संवाददाता, सिकंदरपुर (बलिया) : क्षेत्र का सहकारी संघ रुद्रवार न केवल किसानों की आ

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 09:43 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 09:43 PM (IST)
सहकारी संघ भवन रुद्रवार ध्वस्त होने के कगार पर
सहकारी संघ भवन रुद्रवार ध्वस्त होने के कगार पर

जागरण संवाददाता, सिकंदरपुर (बलिया) : क्षेत्र का सहकारी संघ रुद्रवार न केवल किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल है बल्कि इसका भवन जर्जर होकर ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच गया है। इसका मुख्य कारण अतीत में संघ के धन की लूट खसोट व संबंधित विभाग के अधिकारियों की उपेक्षा है। सहकारिता के स्तम्भ तत्कालीन विधायक ठाकुर शिवमंगल ¨सह के प्रयास व कलेक्टर महमूद बट की सहमति से इस संघ की स्थापना 1954 में हुई थी। धन की स्वीकृति के बाद उसी वर्ष इसके भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ। लगातार एक वर्ष तक निर्माणकार्य चलने के बाद 1955 में भवन बनकर तैयार हुआ। पूर्व में इसका नाम बीज गोदाम रखा गया था जिसे कुछ वर्षों बाद बदल कर सहकारी संघ कर दिया गया। उस समय फसलों की बोवाई के समय संघ किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार बीज देता था। फसल तैयार होने पर किसान लिए गए बीज का सवैया संघ को वापस करते थे। इससे किसान व संघ दोनों लाभान्वित होते थे। संघ का यह व्यवसाय लाभदायक होने के कारण इलाके के किसान उससे जुड़ते गए। इस दौरान संघ किसानों को बीज के साथ ही खाद भी उपलब्ध कराने लगा। तब किसानों की सुबह से शाम तक आवाजाही के चलते संघ परिसर काफी गुलजार रहता था। उस समय भवन के सभी कमरे खाद व बीज से भरे रहते थे। अब वह बात नहीं रह गई है।

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बाउंड्री व कमरे ध्वस्त

आज हालत यह है कि संघ की बाउंड्री व दो कमरे ध्वस्त हो चुके हैं। उनके ईंट का पता नहीं है। दरवाजे व खिड़कियां गायब हो गई हैं। परिसर में झाड़ियां उग आई हैं। जहरीले जन्तुओं ने वहां डेरा जमा लिया है। परिसर में महिलाएं उपला पाथने लगी हैं।

संस्था को करना होगा पुनर्जीवित

आज आवश्यकता है सहकारिता के अग्रणी नेता रहे ठाकुर शिवमंगल ¨सह के इस निशानी को बचाने की। किसानों के लिए वरदान रहे इस संस्था को पुनर्जीवित करने की। ताकि यह एक बार पुन: कृषि व किसानों के लिए वरदान बन सके।

नहीं उपलब्ध हो पाया धन

संघ के प्रभारी बिमलेश कुमार राय ने बताया कि भवन के निर्माण व संस्था को पुनर्जीवित करने के लिए धन की मांग की गई। धन उपलब्ध नहीं होने के कारण मामला आगे नहीं बढ़ पाया।


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