मां, महात्मा व परमात्मा से बढ़कर कुछ भी नहीं : प्रबोधानंद
जिदगी में मां महात्मा व परमात्मा से बढ़कर कुछ भी नहीं है। जीवन में इन तीनों आशीर्वाद जरूरी हैं। बचपन में मां का जवानी में महात्मा का और बुढ़ापे में परमात्मा का।
रसड़ा (बलिया) : जिदगी में मां, महात्मा व परमात्मा से बढ़कर कुछ भी नहीं है, जीवन में इन तीनों का आशीर्वाद जरूरी है। बचपन में मां का, जवानी में महात्मा का और बुढ़ापे में परमात्मा का। मां बचपन को संभाल देती है, महात्मा जवानी सुधार देता है व बुढ़ापे को परमात्मा संभाल लेते हैं। यह बात महात्मा प्रबोधानंदजी महराज ने कही। वह शनिवार को नागपुर में मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा आयोजित एक दिवसीय सत्संग समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भागवत कथा के श्रवण मात्र से अतृप्त आत्मा का भी उद्धार हो जाता है। वर्तमान परिवेश में मानव के अंदर इतनी तृष्णा बढ़ती चली जा रही है कि वह रिश्तों के साथ-साथ सामाजिक मूल्यों को नजरअंदाज कर दे रहा है जो किसी भी सूरत में भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए ठीक नहीं है। इस मौके पर तुलसी प्रसाद गुप्ता, कृष्ण जी, गौतम शर्मा, आशुतोष तिवारी अविनाश तिवारी, विनय कुमार, प्रद्युम्न वर्मा, गनेश शर्मा, उत्तम कुमार आदि की सराहनीय भूमिका रही। संचालन अशोक कुमार वर्मा ने किया।
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