नाली निर्माण नहीं, जलजमाव का संकट
एक साफ-सुथरे माहौल में रहना सभी को अच्छा लगता है। इसके बावजूद अपने घर और आसपास की जगह को हम साफ नहीं रख पाते तो यह एक दाग की तरह है। केवल सरकारी तंत्र ही नहीं जन-जन की लापरवाही से ही शहर में कूड़ा-कचरा बढ़ता जा रहा है। साफ-सफाई की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारी कर्मचारियों की ही नहीं है। इसकी बहुत सी जिम्मेदारी हमें खुद से भी उठानी होगी।
जागरण संवाददाता, बलिया : एक साफ- सुथरे माहौल में रहना सभी को अच्छा लगता है। इसके बावजूद अपने घर और आसपास की जगह को हम साफ नहीं रख पाते तो यह एक दाग की तरह है। केवल सरकारी तंत्र ही नहीं जन-जन की लापरवाही से ही शहर में कूड़ा-कचरा बढ़ता जा रहा है। साफ-सफाई की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारी कर्मचारियों की ही नहीं है। अक्सर देखा जाता है कि बहुत से लोग कूड़ा पात्र रहते हुए भी घर का कूड़ा सड़क किनारे डाल देते हैं या उस स्थान पर डाल देते हैं जहां खाली जमीन रहती है। यह कृत्य मोहल्ले की सूरत को बिगाड़ने वाला है। इस मामले में सरकारी तंत्र सहित कतिपय लोगों का आलस्य भी मोहल्ले की सुंदरता को खराब करने में कोई कमी नहीं छोड़ता। नगर के वार्ड पांच की पड़ताल करें तो यहां काशीपुर, मिश्र नेउरी मोहल्ले हैं। यहां के लोग नाली निर्माण की समस्या से ही लंबे समय से जूझ रहे हैं। बातचीत में मोहल्ले के लोग साफ-सफाई के मामले में अपनी व्यथा कुछ इस तरह बताते हैं। --वार्ड में सबसे बड़ी समस्या पानी के निकासी की है। पानी की निकासी नहीं होने के चलते ही वार्ड में गंदगी युक्त माहौल रहता है। बरसात में तो और भी दिक्कत होती है। घर के पानी को भी कैसे ओर कहां बहाएं यह बड़ी समस्या है।
बाल बच्ची देवी ---वार्ड के मिश्र नेउरी मोहल्ले में तो अभी नाली ही नहीं बनी है। जिससे अभी तो कोई समस्या नहीं है ¨कतु बरसात के दिनों में पूरा मोहल्ला डूबते-उतराते नजर आता है। यहां कूड़ा रखने का भी कोई इंतजाम नहीं है।
अंजू तिवारी --हमारे मोहल्ले के लोगों ने अभी दो दिन पहले ही मोहल्ले में नाली निर्माण के लिए एक आवेदन नगरपालिका को दिया था। इससे पहले भी कई बार मांग की गई। लेकिन इस ओर कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
स्वामीनाथ --इसी मोहल्ले में अनुसूचित जाति की बस्ती भी है। जहां साफ-सफाई को कोई इंतजाम नहीं है। खुद से लोग पतली नाली बना कर घर से पानी की निकासी किसी तरह करते हैं। यहां गंदगी में जीने की सभी की मजबूरी है।
सुरेश राम