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नवरात्र तक रहता है कटान और बाढ़ का खतरा

-लवकुश ¨सह ----------------- जागरण संवाददाता, बलिया : बाढ़ खंड विभाग नदियों के घटाव

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 10:16 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 10:16 PM (IST)
नवरात्र तक रहता है कटान और बाढ़ का खतरा
नवरात्र तक रहता है कटान और बाढ़ का खतरा

-लवकुश ¨सह

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जागरण संवाददाता, बलिया : बाढ़ खंड विभाग नदियों के घटाव को देख सुस्त पड़ने लगता है। उसके बचाव कार्य भी धीमी गति में हो जाते हैं ¨कतु गंगा या घाघरा नदी का बढ़ाव और घटाव दशहरे तक जारी रहता है। ऐसा कई सालों का इतिहास रहा है। अभी पिछले साल ही घाघरा ने अठगांवा के समीप रामेश्वर टोला में एक आलीशान मकान को नवरात्र के पहले ही दिन अपने गर्भ में ले लिया था। उसी समय जयप्रकाशनगर के बीएसटी बांध पर भी घाघरा लगातार टक्कर मारते हुए बांध में सट गई। हालांकि नवरात्र के बाद नदी अपने पेटे में तेजी से वापस होने लगी और लोगों ने राहत की सांस ली। ऐसे में दूबे छपरा ¨रग बंधा को लेकर पूरी तरह आश्वस्त होना, खतरे से खाली नहीं है। नदी नवरात्र तक कभी भी अपने तेवर में आ सकती है। दूबे छपरा में बाढ़ खंड और स्थानीय लोगों के प्रयास से बड़ा खतरा टल गया, जिससे लोग अब सुकून में हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के किसान रामाकांत यादव, बीरेश ¨सह आदि बताते हैं कि वर्ष 2010 और 2013 में नदी अपने गर्भ में जाने के बाद भी अक्टूबर में उफान पर हो गई थी और किसानों के बोआई किए गए परवल के हजारों एकड़ खेत अचानक डूब गए थे। वर्ष 2014 में तो घाघरा ने बैरिया तहसील के एक पंचायत इब्राहिमाबाद नौबरार में तबाही की ऐसी कहानी लिखी कि उस गांव के लगभग 350 मकान घाघरा में समाहित हो गए। तब बीएसटी बांध पर कुल नौ किमी में सड़क के दोनों तरफ केवल झोपड़ियां ही नजर आ रही थी। गांव में कटान का सिलसिला जुलाई से ही शुरू हुआ था और दशहरे तक चलता रहा।

--गंगा ने भी दशहरे में मचाई थी तबाही

बैरिया तहसील के ही जयप्रकाशनगर निवासी रवींद्र ¨सह, झुलन ¨सह, कामेवर ¨सह, सुनील ¨सह आदि बताते हैं कि वह साल 1982 था जब नवरात्र के समय ही टीपूरी और पूर्वी दलजीत टोला गांव के सीध में गंगा ने लगभग 500 घरों को उजाड़ दिया था। तब बलिया के डीएम रहे शंकर अगवाल ने बीएसटी बांध के अंदर लगभग 400 कटान पीड़ितों को जमीन आवंटित कर बसाया। तभी से उस गांव का नाम भी बदल गया और उस टोले का नामकरण भी डीएम के नाम से हुआ शंकर नगर। यह बस्ती अब बाढ़ मुक्त क्षेत्र में है। वहीं शेष लोग खुद से जमीन खरीद कर बसे। इनसेट--भला-बुरा सब है, नदी कृपा पर निर्भर

सरकार की ओर से गांवों को बचाने के लिए भले ही भारी रकम हर साल खर्च किए जाते हैं ¨कतु गांवों का भला होगा या बुरा यह नदियों की कृपा पर ही निर्भर होता है। रेवती का टीएस बंधा हो या जयप्रकाशनगर का बीएसटी बांध हर जगह की कहानी एक जैसी है। दूबे छपरा में दो दिन पहले अफरा-तफरी का माहौल था। इस स्थान पर पिछले साल से ही ¨रग बंधा को मजबूत करने का काम किया जा रहा है। लगभग 29 करोड़ खर्च का आकड़ा है। जयप्रकाशनगर के बीएसटी बांध को सुरक्षित करने के लिए भी इस साल कुल 23 करोड़ खर्च की बात विभागीय अधिकारी बताते हैं।

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बाढ़ और कटान पर 31 अक्टूबर तक विभाग की ओर से पैनी नजर रखी जाती है। कहीं कोई खतरा उत्पन्न होता है तो उसे तत्काल रोकने का प्रयास किया जाता है। सर्वत्र डेंजर जोन पर अलग-अलग लोगों को जिम्मेदारी दी गई है। दूबे छपरा में अब कोई खतरा नहीं है। ¨रग बंधे की मजबूती के लिए कार्य जारी है। इसके अलावा बीएसटी बंधा सहित तमाम स्थानों पर निगरानी की जा रही है।

--वीरेंद्र ¨सह, अधिशासी अभियंता।


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