बाढ़ के कारण संकट के दौर से गुजर रही लाखों की आबादी
गंगा का रौद्र रूप अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। केहरपुर के अलावा दुबेछपरा गोपालपुर उदई छपरा के हजारों के आबादी संकट के दौर से गुजर रही है। केहरपुर में हरेराम ब्रह्मचारी का आश्रम गंगा में समाने के कगार पर है।
जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : गंगा का रौद्र रूप अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। केहरपुर के अलावा दुबेछपरा, गोपालपुर, उदई छपरा के हजारों के आबादी संकट के दौर से गुजर रही है। केहरपुर में हरेराम ब्रह्मचारी का आश्रम गंगा में समाने के कगार पर है। गंगा उस पार, नौरंगा, चक्की नौरंगा व भुवलछपरा आदि गांवों के सामने गंगा का कटान और तेजी से हो रहा है। इसी तरह अगर कटान जारी रहा तो गंगा पार के इन गांवों का अस्तित्व समाप्त होने की आशंका प्रबल हो जाएगी। भुवाल छपरा गांव में गंगा के बाढ़ का पानी घुसना शुरू हो गया है, लेकिन अभी तक प्रशासन की तरफ से नौका आदि की व्यवस्था नहीं किया गया है। -एनएच पर बाढ़ पीड़ित काट रहे दिन
जासं, मझौवा : दूबे छपरा रिग बंधा टूटने के बाद जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगरौत ने सुरक्षा बचाव हेतु एनडीआरएफ की टीम को दुबेछपरा में तत्काल पहुंचने का निर्देश दिए हैं। उधर चौबे छपरा, गंगापुर, केहरपुर के कई मकान अभी भी के तेज धारा में विलीन हो रहे हैं। ग्रामीण खानाबदोश के रूप में एनएच-31 पर रहने को मजबूर हो गए। जहां उनको रहने खाने पीने की समस्या उतपन्न हो गई हैं। सोमवार को मीडियम फ्लड लाइन 58,725 मीटर को पार कर हाई फ्लड लाइन 60,25 मीटर की ओर अग्रसर होने लगी है। केंद्रीय जल आयोग गायघाट पर गंगा का जलस्तर दिन के 12 बजे 58,95 दर्ज किया गया। गंगा प्रति घंटा आधा सेंटीमीटर के बढ़ाव पर है। कटान से बस्तियों में मची अफरा-तफरी
जासं, दोकटी (बलिया): गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि व कटान के वजह से बस्तियों में अफरा-तफरी मची हुई है। ग्राम पंचायत शिवपुर कपूर दियर के मझरोट बस्ती में रविवार की रात में तीन तरफ से कटान आरंभ हो गया, कटान के वजह से बस्ती के लोग अपने मवेशियों संग आवश्क सामान सुरक्षित स्थानों पर ले जाने लगे। वहीं कटान के वजह से गंगा तट शिवपुर घाट पर लगने वाले नाव अब बिद बस्ती जगदीशपुर के सामने लग रही है और यहीं से गंगा उस पार आना-जाना हो रहा है। मझरोट बस्ती में लगभग 50 परिवार मौजूद हैं। इस बस्ती से कटान मात्र 20 मीटर की दूरी पर हो रहा है। वही हाल जगदीशपुर का है, जहां बस्ती में रुक-रुक कर कटान जारी है।
कटान के कारण बस्तीवासी अपना सामान सुरक्षित स्थान पर ले जाना आरंभ कर दिए हैं। कटान के वजह से नरदरा व दलित बस्ती दामोदरपुर के ग्रामीण भी दहशत में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विगत दो दशकों से कटान क्षेत्र में जारी है। लगभग आधा दर्जन बस्तियां गंगा में विलीन हो गई कितु शासन प्रशासन द्वारा आज तक कटान रोकने का स्थाई समाधान नहीं किया गया। जिससे बस्तियां कटान से सुरक्षित हो सके। धन खर्च किया गया तो वह सिर्फ विभाग की मिलीभगत से लूट-खसोट के लिए।