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पें¨टग के माध्यम से बिटिया देतीं है समाज को संदेश

आम अभिभावक बच्चों की प्रतिभा की सही पहचान नहीं कर पाते इसलिए बच्चे पिछड़ जाते हैं। यदि सही समय पर बच्चों की प्रतिभा की पहचान कर ली जाए

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 09:28 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 09:28 PM (IST)
पें¨टग के माध्यम से बिटिया देतीं है समाज को संदेश
पें¨टग के माध्यम से बिटिया देतीं है समाज को संदेश

जागरण संवाददाता, बलिया : आम अभिभावक बच्चों की प्रतिभा की सही पहचान नहीं कर पाते इसलिए वे पिछड़ जाते हैं। यदि सही समय पर बच्चों की प्रतिभा की पहचान कर ली जाए तो वे कई क्षेत्रों में कुछ अलग पहचान स्थापित करने में किसी से भी पीछे नहीं रहेंगे। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है नगर के कलेक्ट्रेट कालोनी की निवासी बिटिया शाइस्ता खातून ने। इसने पें¨टग को आधार बना कुछ अलग करने का प्लान किया और लगातार आगे बढ़ती ही चली गईं। पें¨टग में उसने शासन स्तर से कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में भी सिकंदरपुर तहसील में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसने किसानों के ऊपर पें¨टग के माध्यम से फोकस किया था कि खेतों में फसलों के अपशिष्ट न जलाएं। पें¨टग के माध्यम से ही उसने यह दर्शाया था कि खेतों के सीने को आग से जिस तरह तपाया जा रहा है। डंठल व फसलों के अवशेष बेहिचक धू-धू कर जलाए जा रहे हैं। इससे कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति पर विपरीत असर पड़ता है। मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म परजीवी के साथ कार्बनिक तत्व समाप्त हो जाते हैं। किसान खुद अपने हाथों हवा में जहर घोलने के साथ खेतों की उर्वरा शक्ति को क्षीण कर रहे हैं। उन्हें न तो ¨चता है खेतों के उर्वरा शक्ति की और न ही पर्यावरण प्रदूषण की। अपने पेंटिंग में उसने कई तरह के वैज्ञानिक तथ्य भी शामिल किया था। बताया था कि इससे खेत में मौजूद लाभदायक वैक्टीरिया, रोग नाशक, फंजाई, कीड़े-मकोड़ों के अलावा मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाले अन्य सूक्ष्मजीवी भी नष्ट हो जाते हैं। जीवांश कार्बन कम हो जाता है इससे अनाज के उत्पादन पर विपरीत असर पड़ता है। किसानों को जागरूक करने वाले इस पें¨टग से खुश होकर जिलाधिकारी ने दस हजार रुपये देकर शाइस्ता को सम्मानित भी किया था। शाइस्ता खातून वर्तमान में गांधी इंटर कालेज सिकंदरपुर में 12वीं की छात्रा हैं। वह अभी भी कई अहम मुद्दों पर पें¨टग के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के काम करतीं हैं।

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पिता ने दी यह पें¨टग की सीख

शाइस्ता खातून बताती है कि पें¨टग की सीख उसके पिता इफतेखांर खान ने दी है। इनके पिता ने उन्हें कागज और रंग लाकर दिए ताकि वह अपनी भावनाओं को चित्रों के जरिये दर्शा सकें। उपाय कारगर रहा और चित्र इस बच्ची की अभिव्यक्ति का माध्यम बन गए। आगे चलकर अपनी कला अभिव्यक्ति में उन्होंने अपने जवाब खोजने शुरू किए। शाइस्ता खातून अब देश के हर ज्वलंत मुद्दों पर पें¨टग के माध्यम से समाज को संदेश देने के काम करतीं हैं। शहीदों की याद में या पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण सहित अन्य कई मुद्दों पर वह अपने चित्र के माध्यम से ही सबकुछ कह देते हैं। शाइस्ताका मानना है कि कलाकार किसी भी माध्यम में अपनी भावना व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होता है। इस कला में उसे अजीब सी अनुभूति होती है।


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