कांग्रेस से भी तगड़ा मिला समाजवादी को झटका
यूं तो हर लोकसभा चुनाव का परिणाम अपने आप में खास होता है कितु पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया व देवरिया जनपद के पांच विधानसभा क्षेत्र वाले सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र के दो चुनावों ने दो बड़े दलों की नींव हिला दी और इनकी यहां बनी बनाई राजनीतिक इमारत भरभराकर ढह गई। बात हो रही है सन 1977 व 2014 के आम चुनाव की। जिसके परिणाम के बाद मिले जनमत ने कई रिकार्ड बनाएं और कई दिग्गजों समेत मजबूत दलों के भ्रम को चकनाचूर कर दिया।
जागरण संवाददाता, बिल्थरारोड (बलिया) : यूं तो हर लोकसभा चुनाव का परिणाम अपने आप में खास होता है कितु पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया व देवरिया जनपद के पांच विधानसभा क्षेत्र वाले सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र के दो चुनावों ने दो बड़े दलों की नींव हिला दी और इनकी यहां बनी बनाई राजनीतिक इमारत भरभराकर ढह गई।
बात हो रही है सन 1977 व 2014 के आम चुनाव की, जिसके परिणाम के बाद मिले जनमत ने कई रिकार्ड बनाएं और कई दिग्गजों समेत मजबूत दलों के भ्रम को चकनाचूर कर दिया। आजादी के बाद से 1971 तक के पांच लोकसभा चुनाव में एकतरफा जनमत पाने वाली कांग्रेस को देश में कांग्रेस विरोधी लहर के कारण यहां पहली बार 1977 में झटका लगा। जब छठवें लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल पार्टी से चुनाव लड़कर रामनरेश कुशवाहा ने कांग्रेस के अजेय रिकार्ड को जोरदार झटका दिया और रिकार्ड एक लाख 80 हजार 921 मत के अंतर से जीतकर पहले गैर कांग्रेसी सांसद बने। वर्ष 2014 के चुनाव को छोड़ अब तक के सबसे ज्यादा अंतर से जीत का रिकार्ड रहा है। हालांकि इसके बाद 1980 व 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से वापसी कर ली कितु 1989 के 9वीं लोकसभा चुनाव में हरिकेवल प्रसाद कुशवाहा ने कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील ठोंक दिया। यहां अब तक कांग्रेस का जीतना तो दूर मजबूत प्रत्याशी तक नहीं मिल पा रहे हैं और कांग्रेस का यहां जनाधार लगातार खिसकते हुए चौथे व पांचवें नंबर पर पहुंच गया।
वर्ष 1989 के बाद हरिकेवल प्रसाद ने यहां समाजवाद का ऐसा झंडा बुलंद किया कि सपा-बसपा को मिलाकर लगातार सात बार समाजवादी नेता ही यहां की अगुवाई करते रहे और सपा-बसपा के लिए सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र सुरक्षित सीट माना जाने लगा कितु जैसे हर सुबह की शाम होती है, वैसे ही 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी किला एक ही झटके में भरभराकर गिर गया और यहां से पहली बार बीजेपी का कमल खिला। अब तक के रिकार्ड 2 लाख 32 हजार 342 वोट के अंतर से जीतकर एकतरफा जनमत पाए रवींद्र कुशवाहा यहां से पहली बार बीजेपी के सांसद बने। जीत के अंतर का यह रिकार्ड पूर्वांचल में पीएम नरेंद्र मोदी के जीत के अंतर के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा था।
बेटे ने ही गिरा दिया पिता का समाजवादी किला
- समाजवादी नेता के रूप में चार बार 1989, 1991, 1998 व 2004 में सलेमपुर से मजबूत सांसद रहे हरिकेवल प्रसाद कुशवाहा का सन 2012 में 72 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। इसके बाद अपने पिता से इतर भगवा संग रवींद्र कुशवाहा ने 2014 में पहली बार भाजपा से चुनाव लड़ा और पिता के समाजवादी गढ़ को न सिर्फ गिरा दिया बल्कि चुनाव जीतकर सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में एक नई राजनीतिक लाइन खींच दी।
सलेमपुर लोकसभा सीट से अब तक हुए सांसदों के जीत का अंतर
1952 - सरयू मिश्र (देवरिया दक्षिण)- कांग्रेस- 16370
1957 - विश्वनाथ पांडेय - कांग्रेस- 29579
1962 - विश्वनाथ पांडेय - कांग्रेस- 24483
1967 - तारकेश्वर पांडेय - कांग्रेस- 24301
1972 - तारकेश्वर पांडेय- कांग्रेस- 102801
1977 - रामनरेश कुशवाहा- जनता पार्टी- 180921
1980 - रामनगीना मिश्र- कांग्रेस- 15954
1984 - रामनगीना मिश्र- कांग्रेस- 60536
1989 - हरिकेवल प्रसाद- जनता दल- 135026
1991 - हरिकेवल प्रसाद- जनता दल- 44567
1996 - हरिवंश सहाय- सपा- 35696
1998 - हरिकेवल प्रसाद- समता पार्टी- 39021
1999 - बब्बन राजभर- बसपा- 9050
2004 - हरिकेवल प्रसाद- सपा- 16253
2009 - रमाशंकर विद्यार्थी- बसपा- 18305
2014 - रवींद्र कुशवाहा- भाजपा- 232342
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2014 के लोकसभा चुनाव में किसको कितना मिला वोट
1. रवींद्र कुशवाहा- भाजपा- 392213
2. रविशंकर सिंह पप्पू- बसपा- 159871
3. हरिवंश सहाय- सपा- 159688
4. ओमप्रकाश राजभर- सुभासपा - 66084
5. डा. भोला पांडेय- कांग्रेस - 41890
6. ओंकार सिंह - ससपा - 4947
7. रामकृपाल- निर्दल- 4377
8. चंद्रप्रताप सिंह- आप- 4263
9. श्रीराम चौधरी- भाकपा माले- 3572
10. डा. संजय कुमार सिंह- जदयू- 1675
11. फिरोज अख्तर- राओकौ.- 1507