प्रेम में होता प्रभु का वास
जासं, रसड़ा (बलिया) : प्रेम ही भगवान का वास रहता है तथा प्रेम से ही भगवान को प्राप्त किया जा सकता है ।प्रभु श्रीराम का चरित्र प्रेम वत्सल है। भगवान राम जहां एक आदर्श पुत्र हैं वहीं आदर्श पति भी है। आदर्श राजा के रूप में तो उन्होंने अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। पति बिना पत्नी अधूरी है तो पत्नी के बिना पति। भगवान राम के संग सीता माता का वनवास श्रीराम के साथ सीता को भी पूज्य बना दिया ¨कतु उर्मिला के त्याग को लोगों ने भुला दिया।
जासं, रसड़ा (बलिया) : प्रेम ही भगवान का वास रहता है तथा प्रेम से ही भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। प्रभु श्रीराम का चरित्र प्रेम वत्सल है। भगवान राम जहां एक आदर्श पुत्र हैं वहीं आदर्श पति भी है। आदर्श राजा के रूप में तो उन्होंने अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। पति बिना पत्नी अधूरी है तो पत्नी के बिना पति। भगवान राम के संग सीता माता का वनवास श्रीराम के साथ सीता को भी पूज्य बना दिया ¨कतु उर्मिला के त्याग को लोगों ने भुला दिया। चौदह वर्ष बगैर पति के अयोध्या के कैकेयी के संग रहकर सेवारत रहने वाली उर्मिला का लक्ष्मण के साथ न रहना उनके सारे त्याग व बलिदान को समाप्त कर दिया। उक्त उद्गार प्रसिद्ध कथावाचक साधना ¨सह के हैं। वे श्रीनाथ मठ परिसर में चल रहे श्रीराम चरित मानस नवाह्व परायण एवं सम्मेलन समारोह के चौथे दिन सोमवार को श्रद्धालुओं को कथा का रसपान करा रहे थे। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी का निश्चल प्रेम जहां भगवान का मिलन कराता है वहीं परिवार में सुख-समृद्धि व यश कृति की वृद्धि होती है। इस मौके पर दीनानाथ ¨सह, हर्षनारायण ¨सह, टुना बाबा, अनंत गुप्ता आदि मौजूद थे।