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लगन व परिश्रम ने गवंई लड़के को बनाया नासा वैज्ञानिक

जनपद के नगरा ब्लॉक अन्तर्गत ताड़ीबड़ागांव के मध्यम परिवार के सपूत की सफलता से हर कोई गदगद है। हिदी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करने के बाद एक दशक तक इसरो व पिछले करीब डेढ़ दशक से नासा का हिस्सा बने अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 06:21 PM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 06:21 PM (IST)
लगन व परिश्रम ने गवंई लड़के को बनाया नासा वैज्ञानिक
लगन व परिश्रम ने गवंई लड़के को बनाया नासा वैज्ञानिक

विजय मद्धेशिया

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जागरण संवाददाता, बिल्थरारोड (बलिया): जनपद के नगरा ब्लॉक अन्तर्गत ताड़ीबड़ागांव के मध्यम परिवार के सपूत की सफलता से हर कोई गदगद है। हिदी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करने के बाद एक दशक तक इसरो व पिछले करीब डेढ़ दशक से नासा का हिस्सा बने अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक डा. विनय कुमार सिंह की कामयाबी हर भारतीय युवा के लिए प्रेरणास्त्रोत है। विभिन्न प्ररस्कारों से नवाजे जा चुके डॉ. विनय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सलाहकार समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।

अमेरिकी नागरिकता ग्रहण करने के बाद भी वे भारतीय मूल से जुड़े रहे। जब भी मौका मिला गांव पहुंचकर लोगों को जागरुक करने में जुट जाते हैं। एक तरफ सनानत संस्कृति गर्व करने वाले डॉ. विनय दूसरी तरफ यहां व्याप्त भ्रष्टाचार व लचर शिक्षा व्यवस्था से आहत भी हैं। इसके खिलाफ इन्होंने मुहिम छेड़ रखी है। अमेरिका में रहते हुए भ्रष्टाचार मिटाओ सेना का एक गठन भी किया। यही नहीं यूपी समेत कई प्रदेशों में यह संगठन भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रहा है। साथ ही यूपी में सुधार की प्रक्रिया को तेज करने के लिए साल 2010 में हाउ टू ट्रांसफर उत्तर प्रदेश इन टू बेस्ट स्टेट नामक पुस्तक भी लिख डाली। अपने मिशन के प्रति समर्पित डॉ. विनय वर्ष में दो बार स्वयं यहां रहकर इसको गति प्रदान करते हैं। भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था के साथ-साथ समतामूलक समाज की स्थापना के लिए सदैव संघर्षरत रहते हैं। इनके द्वारा अपने पैतृक गांव के गरीब जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई में मदद भी करते हैं। इनका सपना है कि भारत के राजकीय स्कूलों को भी अमेरिकी तर्ज पर संचालित किया जाए ताकि यहां के गरीब बच्चों को भी उच्च स्तर की शिक्षा मिल सके।

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इनसेट

गांव से प्राप्त की प्रारम्भिक शिक्षा

गावं के सुभाष इंटर कालेज से 1982 में हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद महाराणा प्रताप इंटर कालेज गोरखपुर से इंटर की पढ़ाई पूरी की। पिता सच्चितानंद इनको सिविल इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन डॉ. विनय की रुचि कम्प्यूटर इंजीनियरिग के क्षेत्र में थी। अंतत: जीबी पंत यूनिवर्सिटी पंतनगर (उत्तराखंड) से बीटेक किया और कैंपस सेलेक्शन के द्वारा इसरो में चयन हो गया। इसी दौरान उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबार से एमटेक की पढ़ाई पूरी की।

अपनी लगन के दम पर ही 1999 में यंग साइंटिस्ट एवार्ड जीता। जबकि नासा द्वारा प्रेस्टीजियम सांइटिस्ट एवार्ड से नवाजा गया। डा. विनय पिछले 31 सालों से राकेट विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इनकी मुख्य भूमिका सैटेलाईट की पेलोड संरचना व इमेज डाटा प्रोसेसिग में रही है। ये है इनका मिशन

भ्रष्टाचार समाप्त करना इनकी प्रथम प्राथमिकता है। इसके लिए बकायदा भ्रष्टाचार मिटाओ सेना तक गठित कर रखी है। वहीं शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव के पक्षधर डॉ. सिंह सरकारी स्कूलों में गुणात्मक सुधार की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा समतामूलक समाज की स्थापना उनका प्रमुख लक्ष्य है।


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