गंगा को साफ रखना जिम्मेदारी ही नहीं, कर्तव्य भी
जागरण संवाददाता बलिया प्रयागराज से चली अतुल्य गंगा यात्रा का जनपद में दूसरे दिन भी जगह-जगह भव्य
जागरण संवाददाता, बलिया: प्रयागराज से चली अतुल्य गंगा यात्रा का जनपद में दूसरे दिन भी जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही भी दुबहड़ में यात्रा में शामिल हो गए और यात्रियों व अन्य शामिल लोगों का उत्साह बढ़ाया। शामिल होने से पहले उन्होंने सभी गंगा यात्रियों का स्वागत माला पहनाकर किया। दुबहड़ थाने पर गंगा गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि गंगा हमारे भारत की सांस्कृतिक धरोहर हैं, इन्हें स्वच्छ रखना हम सबकी जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि कर्तव्य भी है।
उन्होंने यात्रा में शामिल सभी लोगों का परिचय प्राप्त करते हुए इस यात्रा की सफलता की कामना की। गंगा स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस यात्रा को बेहतर पहल बताया। इसके पूर्व यात्रा में शामिल लोगों ने नगवां स्थित शहीद मंगल पांडेय के स्मारक में जाकर शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया। साथ ही स्मारक परिसर में पौधारोपण भी किया। वहीं, शिवरामपुर गंगा घाट से गंगा जल का सैंपल लिया गया।
यात्रा का नेतृत्व कर रहे कर्नल माइक ने कहा कि गंगा की स्वच्छता और निरंतरता जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। गंगा हमारी आस्था के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी रखती हैं। बताया कि यात्रा का मुख्य उद्देश्य लोगों को गंगा की स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है। यह यात्रा प्रयागराज से चलकर गंगासागर तक चलेगी। इस दौरान यात्रा में शामिल लोग करीब पांच हजार किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। कहा कि पूरे विश्व में गंगा को ही मां का दर्जा दिया गया है। वजह कि गंगा हमारे राष्ट्र की सांस्कृतिक मूल्यों की पोषक है। इस मौके पर नेहरू युवा केंद्र के अनेक कार्यकर्ता मौजूद थे । प्लास्टिक से दूरी और शौचालय का प्रयोग करने की अपील
दुबहड़ थाने पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने और शौचालय का प्रयोग करने के लिए भी जागरूक किया। इसके साथ-साथ गंदगी से होने वाली विभिन्न बीमारियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। इस मौके पर प्रमुख रूप से नमामि गंगे के जिला परियोजना अधिकारी शलभ उपाध्याय, रोहित उमराव, हिरेन भाई पटेल, कर्नल आरपी पांडेय, इंदू, रोहित जाट, शगुन त्यागी, गोपाल शर्मा, थानाध्यक्ष लाल बहादुर प्रसाद, मनोज कुमार, दिलीप सोनकर, गुप्तेश्वर प्रसाद, प्रशांत पांडेय आदि मौजूद थे। संचालन नितेश पाठक ने किया।