कारगिल युद्ध के योद्धाओं को विजय दिवस पर किया नमन
कारगिल विजय दिवस का दिन तहसील क्षेत्र के इब्राहिमाबाद नौबरार अठगांवा पंचायत सहित के निवासियों के लिए गौरवशाली दिन है। इसी दिन को कारगिल युद्ध के विजय की घोषणा हुई थी। उस युद्ध में देश के जवानों ने अपने दुश्मन को उसके धोखे और गद्दारी का मुंह तोड़ जवाब दिया था। उसी कारगिल युद्ध में अठगांवा के दलेल टोला निवासी जांबाज शहीद अवनीश कुमार यादव ने दर्जनों दुश्मनों को मार गिराया था और बाद में खुद भी दुश्मनों की गोलियों का निशाना बन गया।
जागरण संवाददाता, (बैरिया) बलिया : कारगिल विजय दिवस का दिन तहसील क्षेत्र के इब्राहिमाबाद नौबरार अठगांवा पंचायत सहित के निवासियों के लिए गौरवशाली दिन है। इसी दिन को कारगिल युद्ध के विजय की घोषणा हुई थी। उस युद्ध में देश के जवानों ने अपने दुश्मन को उसके धोखे और गद्दारी का मुंहतोड़ जवाब दिया था। उसी कारगिल युद्ध में अठगांवा के दलेल टोला निवासी जांबाज शहीद अवनीश कुमार यादव ने दर्जनों दुश्मनों को मार गिराया था और बाद में खुद भी दुश्मनों की गोलियों का निशाना बन गए। शहीद अवनीश कुमार के परिजन आज भी उस दिन को याद कर रो पड़ते हैं। इस युद्ध में भारत ने 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था, वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। युद्ध के दौरान भारत के वीर सपूतों ने जिस अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया था उस पर हर देशवासी को गर्व है।
कारगिल विजय दिवस पर शुक्रवार को शहीद अवनीश के गांव और घर के लोगों ने शहीद स्मारक पर पुष्प अर्पित किए और उन्हें नमन कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान लोगों ने राष्ट्र की रक्षा करने का संकल्प लिया। शहीद के पिता शिवजी यादव बताते हैं शहीद की एक प्रतिमा और उसके नाम पर एक प्रवेश द्वार बनाने की बात तब के समय में आने वाले लगभग लोगों ने कहा था, लेकिन वह मुराद आज तक पूरी नहीं हुई। समय बीतने के साथ सब कुछ ओझल हो गया। पिता आज भी उसी आस में अपनी बची हुई जिंदगी काट रहे हैं कि सरकार कम से कम उसके नाम पर इस गांव में कुछ तो कर दें जो शहीद के नाम की एक निशानी के तौर पर अमर रहे। घाघरा की कटान से तबाह होते जा रहा शहीद का गांव
अभी के समय में शहीद का पूरा गांव घाघरा कटान के मुहाने पर हैं। घाघरा लगातार यहां किसानों की जमीन निगलती जा रही है। चार साल पहले नदी में घर गिरने के बाद गांव के अधिकतर लोग गांव छोड़ पलायन कर गए। हर साल बाढ़ में पूरे अठगांवा के लोग तबाह होते हैं। घर से लेकर बाहर तक कई तरह का डर बना रहता है। गांव के कई लोगों ने बताया कि यहां कटान रोकने के नाम पर सरकारी धन को लूटने में ही ठेकेदार और अधिकारी आगे रहते हैं। कटान से गांव को सेफ करने की दिशा में कोई ठोस पहल आज तक नहीं हुई। जबकि गांव को बचाने के नाम पर यहां लगभग 30 करोड़ रुपये खर्च हो गए। इसके बावजूद गांव से तीन किमी दूर बहने वाली घाघरा नदी अब गांव से सट कर बह रही है।