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सोशल ऑडिट के नाम पर अवैध वसूली

महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के सोशल ऑडिट की महज खानापूर्ति की जा रही है। जिम्मेदारों के मनमाना रवैये से यह योजना धरातल पर कारगर साबित नहीं हो पा रही है। सरकार ने मनरेगा के तहत गांव के गरीब मजदूरों को साल में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 07:22 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 06:24 AM (IST)
सोशल ऑडिट के नाम पर अवैध वसूली
सोशल ऑडिट के नाम पर अवैध वसूली

जागरण संवाददाता, सिकन्दरपुर (बलिया): महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के सोशल ऑडिट की महज खानापूर्ति की जा रही है। जिम्मेदारों के मनमाना रवैये से यह योजना धरातल पर कारगर साबित नहीं हो पा रही है। सरकार ने मनरेगा के तहत गांव के गरीब मजदूरों को साल में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। जिला स्तरीय सोशल आडिट टीम द्वारा बकायदा इसका निरीक्षण किया जाता है लेकिन अफसोस टीम सुविधा शुल्क लेकर कागजी कोरम पूरा करने में लगी है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि योजना के क्रियान्वयन करने वाले अधिकारी ही जब योजना के प्रति संजिदा नहीं हैं तो इसकी सफलता भगवान भरोसे ही है। तहसील क्षेत्र के सैकड़ो गांवों के गरीब मजदूरों को न तो काम मिला और न ही समय से मजदूरी ही मिल पाई। धरातल पर सोशल आडिट टीम निष्पक्ष जांच कर दे तो कई कर्मचारियों की गर्दन फंस सकती है। वहीं जिलास्तरीय कमेटी से ऑडिट टीम की जांच करा दी जाए तो इनकी हकीकत भी सामने आ जायेगी। प्रधानों का आरोप है कि ऑडिट के नाम पर खुलेआम वसूली की जा रही है।

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