समझी होती पीड़ा तो बच जाती मासूम की जान
जिला अस्पताल स्थित इमरजेंसी में मंगलवार को समय से अगर तीन वर्षीय शिवम का उपचार हो जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी। इलाज के लिए वाराणसी जाते समय गाजीपुर के पास ही शिवम की मौत हो गई। मां व पिता का रोते रोते बुरा हाल था, वहीं मौत की खबर सुन छात्रनेताओं सहित गांव में भी शोक की लहर दौड गई। सभी मान रहे कि यदि जिला अस्पताल के इमरजेंसी में यदि मासूम के प्रति तत्परता दिखाई गई होती तो उसकी जान बच सकती थी।
जागरण संवाददाता, बलिया : जिला अस्पताल स्थित इमरजेंसी में मंगलवार को समय से अगर तीन वर्षीय शिवम का उपचार हो जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी। इलाज के लिए वाराणसी जाते समय गाजीपुर के पास ही शिवम की मौत हो गई। मां व पिता का रोते रोते बुरा हाल था, वहीं मौत की खबर सुन छात्रनेताओं सहित गांव में भी शोक की लहर दौड़ गई। सभी मान रहे कि यदि जिला अस्पताल के इमरजेंसी में डॉक्टरों व कर्मियों ने मासूम के इलाज में तत्परता दिखाई गई होती तो उसकी जान बच सकती थी।
बांसडीह कोतवाली क्षेत्र के पांडेय पोखरा निवासी जितेन्द्र गोंड का तीन वर्षीय पुत्र शिवम खेलने के दौरान ट्रक की चपेट में आ गया था। इसमें उसके दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए थे। मासूम को लेकर परिजन जब इमरजेंसी में पहुंचे तो तैनात कर्मचारियों ने मानवता को तार-तार करते हुए एक दूसरे पर मरहम पट्टी करने के लिए कहते रहे। करीब ढ़ाई घंटे बाद भी उस मासूम का उपचार शुरू नहीं हो सका। इस मामले को लेकर पूर्व चेयरमैन सुनील ¨सह व छात्र नेताओं ने हंगामा भी किया था। जिसके बाद औपचारिक रुप से उपचार शुरू कर पैर से जख्मी मासूम को वाराणसी रेफर कर दिया।
इधर परिजनों के पास उतने रुपये भी नहीं थे। छात्र नेताओं ने मानवीयता का परिचय देते हुए मासूम के परिजनों को आर्थिक मदद दी। परिजन उसे लेकर वाराणसी जा ही रहे थे तब तक गाजीपुर में वह मासूम भगवान को प्यारा हो गया। अब छात्र नेताओं का कहना है कि जिला अस्पताल भ्रष्टाचार का बड़ा केंद्र बन गया है। यहां के डाक्टरों के मानवता का यही परिचय है। ऐसे केस हर दिन आते हैं और उनके साथ ऐसा ही व्यवहार होता है। गरीब वर्ग के लिए तो यह अस्पताल काल घर के सामान हैं। बवाल की संभावना से बदला इमरजेंसी का स्वरुप
मासूम की मौत के बाद बवाल की संभावना से जिला अस्पताल की इमरजेंसी को एक दिन के लिए पूरी तरह सजा दिया गया था। दवा और इनजेक्शन सहित तमाम जरूरी दवाएं भी एक दिन के लिए मौजूद थी। जिसको लेकर दिनभर चर्चा होती रही।