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लीची से तो नहीं चमकी बुखार, हर स्तर पर बरतें सतर्कता

अधूरे रह गए प्रधानमंत्री आवास कागज में दिखाया पूर्ण गड़बड़झाला --------------- --प्रधानमंत्री आवास के नाम पर हुई है 21 हजार की वसूली --सीएम के आदेश के बाद भी नहीं जोड़ा गया पात्रों का नाम जागरण संवाददाता मझौवां (बलिया) बेलहरी विकास खंड में वर्ष 201

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 08:38 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 08:38 AM (IST)
लीची से तो नहीं चमकी बुखार, हर स्तर पर बरतें सतर्कता
लीची से तो नहीं चमकी बुखार, हर स्तर पर बरतें सतर्कता

डा. रवींद्र मिश्र, बलिया

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बिहार में मौत बनकर बच्चों पर टूट रहे चमकी बुखार को लेकर बलिया में भी अलर्ट जारी किया गया है। इस बुखार की वजह कहीं लीची तो नहीं, वजह यह कि बिहार में लीची वाले क्षेत्रों में ही ज्यादातर बच्चे इस रोग के शिकार हो रहे हैं।

सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के निर्देश पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय के संयुक्त सचिव डा. एके राय ने सीयर सीएचसी सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों का औचक निरीक्षण किया और बारीकी से चिकित्सा सेवाओं की जानकारी ली। बिहार में करीब 100 बच्चों के मौत का कारण बने चमकी बुखार को लेकर जनपद के अस्पतालों व स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट रहने को कहा। यह बात दीगर है कि स्वास्थ्य विभाग आज तक यह पता नहीं कर पाया है कि आखिर चमकी बुखार कौन सी बीमारी है। यह किस वायरस से होती है। इसके होने का कारण क्या है। बिहार के लीची वाले क्षेत्र मुजफ्फरपुर में इस रोग के तेजी से फैलने की सूचना आ रही है। इसको लेकर यह कहा जा रहा है कि लीची को खाली पेट खाने से बच्चे चमकी बुखार के शिकार होकर काल के गाल में समा रहे हैं। चमकी बुखार के संबंध में जिले के चिकित्सक बहुत कुछ खुलकर नहीं बता पा रहे हैं लेकिन वे बच्चों को खाली पेट लीची नहीं खाने की सलाह जरूर दे रहे हैं। रिसर्च में भी खाली पेट लीची खाना ज्यादा खतरनाक

इंग्लैंड में लंदन से प्रकाशित 'द लैंसेट' नाम की मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च की मानें तो लीची में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ जिन्हें हाइपोग्लाइसीन-ए और मिथाइल इनसाइक्लोप्रोपीलग्लाइसीन (एमपीसीजी) कहा जाता है, शरीर में फैटी एसिड मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया में रुकावट पैदा करते हैं। इसकी वजह से ही लीची मीठी होने के बावजूद इसे खाली पेट खाने से शरीर में ब्लड-शुगर लो लेवल में चला जाता है। इस कारण मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं और दौरे पड़ने लगते हैं। अगर रात का खाना नहीं खाने की वजह से शरीर में पहले से ब्लड शुगर का लेवल कम हो और सुबह खाली पेट लीची खा ली जाए तो एईएस का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यह बहुत ही खतरनाक हैं। मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट की मानें तो चमकी बुखार के पनपने की ज्यादा आशंका लीची से ही है। सिर्फ लीची नहीं है चमकी बुखार की वजह

जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. अनुराग सिंह के अनुसार चमकी बुखार से पीड़ित कोई मरीज अभी तक जिले में नहीं मिला है। लीची को खाली पेट खाना हानिकारक जरूर है, लेकिन चमकी बुखार के लिए यह अकेली वजह लीची नहीं है। यह एक तरह से दिमागी बुखार है। यह तापमान बढ़ने के साथ गर्मी में सक्रिय होने वाले एक खास तरह के वायरस या बैक्टीरिया है। इसके लिए हर स्तर पर सावधानी बरतने की जरूरत है। कुपोषण के शिकार बच्चे इसकी चपेट में पहले आते हैं, इसलिए बच्चों को पर्याप्त भोजन सबसे जरूरी है। घर में साफ-सफाई का बेहतर इंतजाम होना चाहिए। विभिन्न कारकों के इकट्ठा होने वाली गंदगी भी इस वायरस का कारण बन सकती हैं। खाली पेट लीची खाना इसलिए हानिकारक है क्योंकि शरीर का ब्लड शुगर लेवल अचानक बहुत ज्यादा लो हो जाता है और बीमारी का खतरा उत्पन्न हो जाता है। ऐसे में माता-पिता को सलाह है कि वे बच्चों को खाली पेट लीची बिलकुल ही न खिलाएं।

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