एहतराम के साथ निकला मेंहदी व ताबूत का जुलूस
मातमी पर्व मुहर्रम के तहत आयोजित हो रहे कार्यक्रमों के क्रम में शनिवार को सातवीं मुहर्रम के दिन शिया समुदाय की ओर से 13 वर्षीय शहीद हजरत कासिम इब्ने इमाम हसन की मेंहदी व ताबूत का जुलूस बैंक गली स्थित सै. शमसुल हसन के इमाम बारगहा से जुलूस निकाला गया जो सै. मुजतबा हुसैन के नेतृत्व में नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए कर्बला तक पहुंचा। जुलूस के दौरान अकीदतमंदों ने मार्सिया व नौहां पढ़ते हुए कर्बला के शहीदों की याद में नारे बुलंद करते हुए कर्बला पहुंचे।
जासं, रसड़ा (बलिया) : मातमी पर्व मुहर्रम के तहत आयोजित हो रहे कार्यक्रमों के क्रम में शनिवार को सातवीं मुहर्रम के दिन शिया समुदाय की ओर से 13 वर्षीय शहीद हजरत कासिम इब्ने इमाम हसन की मेंहदी व ताबूत का जुलूस बैंक गली स्थित सै. शमसुल हसन के इमाम बारगहा से जुलूस निकाला गया, जो सै. मुजतबा हुसैन के नेतृत्व में नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए कर्बला तक पहुंचा। जुलूस के दौरान अकीदतमंदों ने मार्सिया व नौहां पढ़ते हुए कर्बला के शहीदों की याद में नारे बुलंद करते हुए कर्बला पहुंचे। इसके पूर्व मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना सै. सबीह अब्बास ने कहा कि मेंहदी के बारे में मान्यता है कि हजरत इमाम हुसैन ने अपने बड़े भाई हजरत इमाम हसन के वसीयत के अनुसार उनके लड़के हजरत कासिम की शादी अपनी बेटी फातिमा कुबरा से की और इसी याद में मेंहदी निकाली जाती है। उन्होंने कहा कि हजरत कासिम को जंग की इजाजत मिली तो उन्होंने छोटी उम्र में भी यजिदी फौज से मुकाबला किया। मजलिश में डा. मुहम्मद जौन ने नौहां खानी की तत्पश्चात जिशान एवं साथियों ने नौहां पढ़ा। इस मौके पर सै. अख्तर हुसैन, वली हसन, सै. बन्ने हसन तथा शाहिद जैदी आदि उपस्थित रहे