जल्दबाजी में प्रसूता को अस्पताल पहुंचाने के लिए हाथ ठेला बना एंबुलेंस
बलिया में अचानक तबीयत खराब होने पर जब तीमारदारों को कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने हाथ ठेले को ही एंबुलेंस की तरह इस्तेमाल किया।
बलिया (जेएनएन)। अचानक अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो किसी को कुछ भी नहीं सूझता। बस एक ही उद्देश्य रहता है कि किसी तरह मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाए। कुछ इसी तरह की घटना रेवती बाजार के काली माता मंदिर रोड पर बुधवार को हुई। परमानंद के डेरा (खरिका) निवासी लालजी गोंड की गर्भवती पत्नी चंदा देवी को परिवार वाले डाक्टर की सलाह पर यहां अल्ट्रासाउंड कराने ले आए थे। इस दौरान अचानक चंदा की तबीयत खराब हो गई। तेज रक्तस्त्राव से परिवारीजन और साथ आए लोग घबड़ा गए।
हड़बड़ी में ठेले का सहारा
परिवारीजनों ने हड़बड़ी में करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित रेवती स्वास्थ्य केंद्र पर उन्हें ले जाने के लिए तत्काल एक ठेले का सहारा लिया। इससे महज दस मिनट के अंदर ही वह गर्भवती को लेकर अस्पताल पहुंच गए। इस दौरान परिवारीजन हड़बड़ी में एंबुलेंस को भी फोन नहीं कर सके। रेवती अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सकों ने चंदा की हालत देख प्राथमिक इलाज किया और उन्हें तत्काल एंबुलेंस 108 से जिला अस्पताल भेज दिया। गंभीर हालत में जिला महिला अस्पताल में गर्भवती का इलाज चल रहा है।
ठेला ही ले जाना बेहतर समझा
चंदा के पति लालजी गोंड ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के दौरान अचानक अत्यधिक रक्तस्त्राव होने लगा। इससे हम सभी घबड़ा गए। एंबुलेंस को फोन करने और आने में विलंब की आशंका को देखते हुए ठेला पर ही ले जाना बेहतर समझा। उस समय केवल यही सूझ रहा था कि किसी तरह गर्भवती को अस्पताल पहुंचाया जाए।