जलप्लावन से सैकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद
विकासखंड पंदह अन्तर्गत पकड़ी ताल में रोपी गयी धान की फसल जल प्लावन के कारण पूरी फसल बर्बाद हो गयी है।इससे किसानों में काफी आक्रोश है। पकड़ी ताल से निकलने वाली ड्रेन की साफ सफाई नहीं होने से हर साल किसानों की करीब 600 एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है। पिछले सप्ताह ड्रेन पर एक विशाल पीपल का वृक्ष गिर
जागरण संवाददाता, बलिया: पिछले पखवारे हुई भारी बरसात के बाद कई इलाकों में अभी जल जमाव की समस्या चिताजनक बनी हुई है। खासकर ग्रामीण इलाकों में सैकड़ों एकड़ भूमि में जलप्लावन की समस्या से हजारों किसान प्रभावित हैं। कहीं धान की बेहन पूरी तरह गल चुकी है तो कहीं रोपी गई फसल पानी लगने से बर्बाद हो चुकी है। अभी भी जिले के कई क्षेत्रों में भारी जलजमाव की स्थिति है। इससे अधिकतर किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं।
विशेषकर निचले इलाके के खेतों की स्थिति तो और भी खराब है। वैसे तो पिछले एक पखवारे से बारिश का सिलसिला थमा हुआ है लेकिन रूक-रूक कर हो रही बारिश ऐसे किसानों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। मौसम का मिजाज भी हाल फिलहाल ऐसे किसानों के फेवर में नहीं दिखता। वहीं प्रशासनिक अमला ऐसे क्षेत्रों को जलप्लावन से मुक्त कराने की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं कर रहा है जिसे लेकर किसानों में काफी रोष है।
पूर (बलिया) : विकासखंड पंदह अन्तर्गत पकड़ी ताल में रोपी गयी धान की फसल जल प्लावन के कारण पूरी फसल बर्बाद हो गयी है।इससे किसानों में काफी आक्रोश है। पकड़ी ताल से निकलने वाली ड्रेन की साफ सफाई नहीं होने से हर साल किसानों की करीब 600 एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है। पिछले सप्ताह ड्रेन पर एक विशाल पीपल का वृक्ष गिर जाने से जल निकासी पूरी तरह अवरुद्ध हो गया और ताल का पानी पकड़ी गांव में गुसने लगा था।
बता दें कि पकड़ी ताल से जल निकासी न होना इलाकाई किसानों के लिए समस्या बनता जा रहा है। इस बाबत कई बाद शिकायत करने के बाद भी कोई ठोस पहल न होने से किसान बेबस व लाचार हो गए हैं। किसानों का कहना है कि अधिकारियों से लिखित रूप से शिकयत करने के बाद भी अब तक कोई पहल नहीं हुई। कहा कि जल्द ही उपाय न होने पर आंदोलन करना मजबूरी हो जाएगी। ऐसा ही एक मामला सिकंदरपुर क्षेत्र स्थित ड्रेन का फाटक न खोलने से सैकड़ों एकड़ भूमि जलमग्न हो गई थी और इससे हजारों किसान प्रभावित हुए थे। काफी हो हंगामा के बाद बाढ़ विभाग द्वारा सबकुछ तहस नहस होने के बाद फाटक खोला गया। बहरहाल अभी भी जिले के अधिकांश निचले इलाकों में पानी जमा होने से धान की खेती प्रभावित हो रही है।
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