ब्लाक प्रमुख गौरव चौधरी का इस्तीफा स्वीकार
जागरण संवाददाता बलिया हनुमानगंज ब्लाक प्रमुख गौरव चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। शुक्रवार को उनका इस्तीफा जिला पंचायत अध्यक्ष सुधीर पासवान ने स्वीकार भी कर लिया। इस प्रकार लंबे समय से ब्लाक प्रमुख पद के तख्तापलट की संभावनाओं से जुड़ी चर्चा पर विराम लग गया। अब हनुमानगंज ब्लाक प्रमुख के लिए फिर से चुनाव होगा। माना जा रहा है कि आगे होने वाले चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी ताकत दिखाने के लिए एक बार फिर मैदान में आएंगे।
जागरण संवाददाता, बलिया : हनुमानगंज ब्लाक प्रमुख गौरव चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। शुक्रवार की देर शाम उनका इस्तीफा जिला पंचायत अध्यक्ष सुधीर पासवान ने स्वीकार भी कर लिया। इस प्रकार लंबे समय से ब्लाक प्रमुख पद के तख्तापलट की संभावनाओं से जुड़ी चर्चा पर विराम लग गया। अब हनुमानगंज ब्लाक प्रमुख के लिए फिर से चुनाव होगा। माना जा रहा है कि आगे होने वाले चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी ताकत दिखाने के लिए एक बार फिर मैदान में आएंगे।
उल्लेखनीय है कि विकासखंड हनुमानगंज के ब्लाक प्रमुख गौरव चौधरी ने अपने पारिवारिक व्यस्तता का हवाला देते हुए 17 जून को पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इस्तीफा जिलाधिकारी व जिला पंचायत अध्यक्ष को सौंपा था। उधर, जिलाधिकारी ने आवश्यक कार्रवाई के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देशित किया था। इसी बीच 21 जून को जिला पंचायत अध्यक्ष सुधीर पासवान ब्लॉक प्रमुख गौरव चौधरी का इस्तीफा स्वीकृत करने का आदेश जारी कर दिया। इसको लेकर कई दिनों से चर्चा आम थी। बस सभी का इंतजार था प्रशासन की मुहर लगने की। किसी दबाव में तो नहीं दिया इस्तीफा
ब्लाक प्रमुख के कार्यकाल में अभी आधे का समय बचा था। काफी कश्मकश के बीच चुनाव जीतने के ढाई वर्ष बाद अचानक इस्तीफे से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। लोगों के बीच यह भी चर्चा है कि कहीं सत्ता पक्ष के दबाव में तो यह इस्तीफा नहीं दिया गया। कहा तो यह भी जा रहा है कि शीघ्र ही ब्लॉक प्रमुख गौरव चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी थी। उसमें सत्ता की लहर के बीच अपना पक्ष कमजोर भांपकर उन्होंने पहले ही इस्तीफे की पेशकश कर दी। सच्चाई चाहे जो भी हो, लेकिन पूरी प्रतिष्ठा और धनबल के बाद चुनाव जीतने के बाद हनुमानगंज ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पाए गौरव चौधरी के अचानक इस्तीफा देने से इस तरीके के कयास लगाया जाना लाजिमी है। इसको लेकर राजनीतिक गलियारे चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
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