तमसा की भेंट चढ़ी मूंगफली और तिल की खेती
मूंगफलीबारिश के बाद उफनाई तमसा नदी की बाढ़ का कहर जारी है। धान की फसल के साथ-साथ क्षेत्र के हजारों किसानों की मूंगफली उड़द और तिल की फसल तमसा नदी की भेंट चढ़ चुकी है। हरे चारे के पानी में डूब जाने से किसानों और पशुपालकों में हाहाकार मचा हुआ है।
जागरण संवाददाता, नौसेमरघाट (मऊ) : बारिश के बाद उफनाई तमसा नदी की बाढ़ का कहर जारी है। धान की फसल के साथ-साथ क्षेत्र के हजारों किसानों की मूंगफली, उड़द और तिल की फसल तमसा नदी की भेंट चढ़ चुकी है। हरे चारे के पानी में डूब जाने से किसानों और पशुपालकों में हाहाकार मचा हुआ है।
उड़द और मूंगफली से दलहन और तिलहन मिलने के साथ ही पशुओं के लिए हरे चारे का भी इंतजाम होता है। इधर, तमसा का पानी बढ़ने से तटवर्ती किसानों की पूरी फसल ही डूब गई है। खेतों से हरी घास काटकर पशुओं को पालने वाले छोटे-छोटे पशुपालकों की चिता भी बढ़ी हुई है। अगेती आलू की खेती भी बर्बाद हो गई है। सबसे ज्यादा दिक्कत सनेगपुर, नौसेमर, जहनियापुर, झझवा, काछीकला, हिकमा आदि गांवों में है। जबकि नदी के दूसरी तरफ उमापुर, मानपुर, भावनाथपुर, सरवां, बभनीकोल, अलीनगर, अमुराईं आदि में धान की फसल तो दूर तिल, मूंगफली और उड़द की फसल डूबने से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। उधर, हथिनी में सैकड़ों किसानों की परवल व बोड़ो, भिडी, मूली तथा गोभी की फसल पूरी तरह तबाह हो गई है। चारा संकट से किसान त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। क्षेत्र के सुदामा चौहान, संतोष यादव, भोला दूबे, रवींद्र राय, मदनमोहन राय, विजयी सिंह, धीरज यादव, कन्हैया मल्लाह, जीतेंद्र मौर्य, कमलेश राय आदि किसानों ने कहा कि यह फसल तो गई ही खेत से जल्द पानी नहीं खिसका तो आगे की फसल से भी हाथ धोना पड़ जाएगा।