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अतिक्रमण के कारण अस्तित्व खोता जा रहा भागड़नाला

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : देवपुर मठिया से मांझी घाट तक कुल 25 किमी लंबाई में फैला भागड़नाला अतिक्रमण के चलते अपना अस्तित्व खोता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 05:21 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 05:21 PM (IST)
अतिक्रमण के कारण अस्तित्व खोता जा रहा भागड़नाला
अतिक्रमण के कारण अस्तित्व खोता जा रहा भागड़नाला

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : देवपुर मठिया से मांझी घाट तक कुल 25 किमी लंबाई में फैला भागड़नाला अतिक्रमण के चलते अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। अगर इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर दिया जाय तो प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही पर्यावरण के लिए वरदान साबित होगा। क्षेत्र के लोग भी इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की मांग करने लगे हैं।

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देवपुर मठिया निकट से घाघरा नदी से निकला यह भागड़नाला दलछपरा, जमालपुर, रानीगंज को छूते हुए मांझी घाट पर जाकर घाघरा नदी में मिल जाता है। हमेशा इसमें कुछ स्थानों पर पानी भरा रहता है जबकि कुछ जगहों पर लोगों ने इसमें मिट्टी भरकर इसे खेत का शक्ल दे दिया है। रानीगंज के पास तो इस भागड़नाले को अतिक्रमित करके लोगों ने पक्का निर्माण करा लिया है। किसी जमाने में महाराज बाबा द्वारा रानीगंज-बैरिया को आपस में जोड़ने के लिए लोगों के सहयोग से पुल का निर्माण कराया गया था। वह पुल आज भी विद्यमान है। हालांकि सरकार ने उसके बगल में एक नया पुल बनवा दिया है। जिसके कारण पुराने पुल पर आवागमन बंद हो गया है। लोगों का कहना है कि अगर अतिक्रमण से मुक्त कराकर इसे झील के रूप में विकसित कर दिया जाय तो नौका विहार सहित अन्य खेलों के लिए यह प्रमुख संसाधन के रूप में विकसित हो जाएगा।


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