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कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय

सूर्य उपासना के छठ पर्व में जिले का कोना-कोना भक्तिमय सरोवर में नहाता प्रतीत हुआ। बिहार से सटे होने के चलते बलिया में महापर्व छठ की धूम बिहार के

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 10:06 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 10:06 PM (IST)
कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय
कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय

जागरण संवाददाता, बलिया : सूर्य उपासना के छठ पर्व में जिले का कोना-कोना भक्तिमय सरोवर में नहाता प्रतीत हुआ। बिहार से सटे होने के चलते बलिया में महापर्व छठ की धूम बिहार के तर्ज पर ही होती है। दिनभर प्रसाद की तैयारी के बाद महिलाएं, पुरुष और बच्चे जब छठ घाटों की ओर निकले तो सड़कों पर केवल छठ के गीत ही सुनाई दे रहे थे। नंगे पांव सिर पर दउड़ा लिए पुरुष समाज चल रहा था और पीछे से महिलाएं छठ गीतों को गाते हुए चल रही थी। व्रतियों में ऐसे व्रती भी थे जो अपनी मुरादें पूरी करने के लिए जमीन पर लेट कर छठ घाटों तक का सफर तय कर रहे थे। नगर के रामलीला मैदान, टाउन हाल, महावीर घाट, बिचला घाट, लाट घाट आदि जगहों पर शहर के लोगों की जबर्दस्त भीड़ रही। इसके अलावा जिले भर में लगभग सभी घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ा रहा। छठ पूजा में सांसद भरत ¨सह, विधायक उमाशंकर ¨सह, भाजपा नेता साकेत ¨सह समेत अन्य अपने-अपने क्षेत्र में शामिल हुए।

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सुरक्षा की रही चाक-चौबंद व्यवस्था

छठ पर्व पर महिलाएं आकर्षक रूप से साज-सज्जा कर घाटों पर पहुंचती हैं। ऐसे में इसमें वह गहने आदि भी खूब पहनती हैं। इस तरह की स्थिति को देखते हुए किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए घाटों पर पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था रही। घाटों पर अराजकतत्वों व मनचलों पर नजर रखने के लिए पुलिस हर ओर मुस्तैदी से जुटी रही।

छठ में माई रोवत हाइहें सहित कई गीतों की मची धूम

उजे केरवा जे फरेला घवद से ओ पर सुग्गा मेरराय, कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, मोरा घाटे दुबिया उपजि गइले आदि गीत ही महिलाएं गाते हुए छठ घाटों तक जा रही थी। इस साल पवन ¨सह के इमोशनल छठ गीत जो एक फैजी बेटे की ओर से गाया गया है 'माई रोवत हाइहें' भी खूब सुने जा रहे थे। प्रसाद वितरण का बड़ा महत्व

छठ घाटों पर या घाट से लौट कर प्रसाद वितरण का भी बड़ा महत्व माना जाता है। इसलिए उगते सूर्य को अ‌र्ध्य देने के बाद व्रतधारी प्रसाद वितरण पर भी काफी ध्यान देते हैं। जिनके घर यह व्रत नहीं होता है, उसके यहां भी यह प्रसाद हर हाल में पहुंचाया जाता है।

इस साल भी मजूर मियां ने किया छठ

लोक आस्था का पर्व छठ केवल ¨हदू ही नहीं करते जेपी के पैतृक गांव लाला टोला सिताबदियारा में एक मुस्लिम परिवार भी है जो उसी आस्था से सूर्य उपासना का छठ ¨हदुओं के साथ मिलकर करता है। इतना ही नहीं छठ घाटों पर व्रतियों की सेवा करने से भी लाला टोला निवासी मजूर मियां कभी पीछे नहीं होते। छठ के प्रति उनकी गहरी आस्था कोई आज से नहीं वर्ष 1980 से ही है। उनकी गहरी आस्था को देखकर ही गांव के सभी ¨हदू परिवार इस पर्व में उनका भरपूर सहयोग करते हैं। इस साल भी मंजूर मियां ¨हदूओं संग छठ किए।


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