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राजकीय सम्मान के साथ वन रक्षक का हुआ अंतिम संस्कार

जासं बलिया सोनभद्र में तैनात वन रक्षक मोहन राम वर्मा निवासी अमडारी थाना फेफना का अंतिम संस्कार शनिवार की देर रात को महावीर घाट पर किया गया। इस दौरान वन विभाग के प्रदेश मुख्यालय से लगायत आसपास के जिलों के वरिष्ठ अधिकारी व सैकड़ों वन कर्मी मौजूद रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 11:54 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 11:54 PM (IST)
राजकीय सम्मान के साथ वन रक्षक का हुआ अंतिम संस्कार
राजकीय सम्मान के साथ वन रक्षक का हुआ अंतिम संस्कार

जासं, बलिया: सोनभद्र में तैनात वन रक्षक मोहन राम वर्मा निवासी अमडारी थाना फेफना का अंतिम संस्कार शनिवार की देर रात को महावीर घाट पर किया गया। इस दौरान वन विभाग के प्रदेश मुख्यालय से लगायत आसपास के जिलों के वरिष्ठ अधिकारी व सैकड़ों वन कर्मी मौजूद रहे। प्रधान मुख्य वन संरक्षक पवन कुमार, मुख्य वन संरक्षक आरसी झा और अंजनी कुमार समेत वन संरक्षक आजमगढ़ अमर बहादुर, वन संरक्षक वाराणसी केके पांडे, एएसपी विजयपाल सिंह, डीएफओ संजय विश्वाल, डीएफओ सोनभद्र संजीव सिंह, डीएफओ गाजीपुर जीसी त्रिपाठी, डीएफओ देवरिया पीके गुप्ता ने पुष्प चक्र तथा मौजूद सैकड़ों वन र्किमयों ने सभी ने वनरक्षक के पाíथव शरीर पर पुष्पांजलि अíपत कर श्रद्धांजलि दी। घाट पर ही गार्ड ऑफ ऑनर देने के बाद अंतिम संस्कार किया गया। अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई के दौरान हुई थी मौत

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डीएफओ श्रद्धा यादव ने बताया कि मोहन राम वर्मा सोनभद्र वन प्रभाग के माची रेंज में तैनात थे। वहां अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई के दौरान शुक्रवार को उनकी टीम वन माफियाओं को पकड़ कर ले जा रही थी। इसी बीच रास्ते में खनन माफियाओं द्वारा वन र्किमयों पर हमला कर दिया गया और उसमें मोहन राम की मृत्यु हो गई। इसकी सूचना उनके पैतृक गांव आमडारी सागरपाली में मिली तो कोहराम मच गया। शनिवार की शाम को सोनभद्र से वन विभाग द्वारा शव को गांव लाया गया। परिवार में एकमात्र कमाऊ सदस्य थे मोहन

मोहन राम वर्मा वर्ष 1989 में वन विभाग में आए और दैनिक कर्मचारी के रूप विभिन्न जनपदों में सेवा दी। इसके बाद 2006 में विनियमितकरण प्रक्रिया के दौरान सोनभद्र में वन रक्षक हुए और तब से वहीं तैनात रहे। मोहन परिवार में एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। वह अपने पांच भाइयों में तीसरे नंबर के थे। उनका एकमात्र पुत्र चंदन 16 वर्ष का है। उनके आकस्मिक निधन से परिवार के लोगों पर दुख का पहाड़ टूट चुका है।


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