अंतत: नहीं बच पाई रेखा की जान
जिला अस्पताल में ह्वीलचेयर व स्ट्रेचर के अभाव में पति के गोद में बैठ कर गिरते-पड़ते मेडिकल वार्ड पहुंची रेखा गुरुवार की देर शाम अंतत दुनिया को अलविदा कह दी। पत्नी की मौत के बाद रोते-बिलखते पति राजकुमार को तीन बच्चों की परवरिश की चिता खाए जा रही थी। बार-बार वह यही कहता रहा कि
जागरण संवाददाता, बलिया : जिला अस्पताल में ह्वीलचेयर व स्ट्रेचर के अभाव में पति की गोद में बैठकर गिरते-पड़ते मेडिकल वार्ड पहुंची रेखा ने गुरुवार की देर शाम अंतत: दुनिया को अलविदा कह दी। पत्नी की मौत के बाद रोते-बिलखते पति राजकुमार को तीन बच्चों की परवरिश की चिता खाए जा रही थी। बार-बार वह यही कहता रहा कि समय से इलाज मिल जाता तो तीन मासूमों से उसकी मां नहीं बिछड़ती।
बहरहाल परिजन शव को दाह संस्कार के लिए लेकर चले गए लेकिन इस घटना ने न सिर्फ हास्पिटल की दुर्व्यवस्था को उजागर कर दिया, बल्कि उसके माथे पर नाकामियों का बदनुमा दाग भी लगा दिया है। बता दें कि गुरुवार की दोपहर गंगा पार जवहीं दियर निवासी राजकुमार बीमार पत्नी रेखा के बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंचा था। इमरजेंसी में दिखाने के बाद तबीयत ज्यादा खराब होने पर चिकित्सकों ने भर्ती करने की सलाह दी। द्वितीय तल पर स्थित मेडिकल वार्ड में रेखा को ले जाने के लिए राजकुमार घंटों ह्वीलचेयर और स्ट्रेचर के लिए इधर-उधर भटकता रहा लेकिन उसे यह सुविधा नहीं मिल पाई। थकहार कर कुछ लोगों के सहयोग से राजकुमार पत्नी को गोद में उठाकर मेडिकल वार्ड पहुंचाया।
इस दरम्यान पति की गोद से गिरकर रेखा कई बार अचेत भी हुई। इधर रेखा की तबियत समय बीतने के साथ खराब होती चली गई। डाक्टरों ने इलाज जरुर शुरु किया लेकिन कुछ घंटे बाद रेखा तीन बच्चों को पति के भरोसे छोड़ दुनिया से चल बसी।
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