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शहीद किसान की याद में जुटान, राष्ट्र सेवा का संकल्प

विकासखंड सोंहाव अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर करंजा माफी के पास लगी सहित शिवदहिन राजभर सन् 1942 के शहीद की प्रतिमा पर शुक्रवार के दिन शहादत दिवस के अवसर पर एक मेला का आयोजन किया गया। क्षेत्रीय लोगों ने अपने इस सपूत की याद में प्रतिवर्ष 30 अगस्त को शहादत दिवस मनाया करते हैं। दरियापुर निवासी शिव दहिन राजभर खेत में हल चला रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 05:07 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 10:25 PM (IST)
शहीद किसान की याद में  जुटान, राष्ट्र सेवा का संकल्प
शहीद किसान की याद में जुटान, राष्ट्र सेवा का संकल्प

जागरण संवाददाता, नरही (बलिया) : विकासखंड सोंहाव अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर करंजा माफी के पास लगी शहीद शिवदहिन राजभर की प्रतिमा पर शुक्रवार को मेले का आयोजन किया गया, जहां क्षेत्रीय लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर राष्ट्र सेवा का संकल्प लिया।

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सन् 1942 के शहीद को शहादत दिवस पर नमन करने के साथ उनके त्याग की चर्चा की गई। किसान अपने इस सपूत की याद में प्रतिवर्ष 30 अगस्त को शहादत दिवस मनाया करते हैं। दरियापुर निवासी शिव दहिन राजभर खेत में हल चला रहे थे। तत्कालीन नरही थाना अध्यक्ष सुंदर सिंह वहां पहुंचे और क्रांतिकारियों के बारे में पूछने लगे। इस भारत माता के लाल ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।

नाराज होकर थानाध्यक्ष ने शिव दहिन पर दर्जनों कोड़े बरसाए फिर भी भारत माता के सपूत ने कुछ भी नहीं बताया। इस पर नाराज होकर पिस्तौल से तीन गोली मार दी। शिव दहिन वहीं शहीद हो गए। उन्हीें की याद में क्षेत्रीय लोग सैकड़ों की संख्या में जुट कर 30 अगस्त के दिन शहादत मनाते हैं। इस अवसर पर जितेंद्र राजभर, जंग बहादुर राजभर, विजय शंकर राजभर, करंजा प्रधान सोनिया सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। इनसेट---छत को तरस रही किसान शहीद की प्रतिमा

राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर सड़क के किनारे वर्षों पहले लगी शिव दहिन राजभर की प्रतिमा खुले आसमान के नीचे एक छत के लिए तरस रही है। इस मार्ग से शासन प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों का आना जाना लगा रहता है। क्षेत्रीय लोग धर्मेंद्र सिंह, शिव मोहन, शिव बहादुर सिंह, श्रवण कुमार, सुरेश राजभर, प्रवीण कुमार का कहना है कि इसकी मांग जनप्रतिनिधियों से कई बार की गई है लेकिन आज तक इस बारे में किसी ने नहीं सोचा। एक छत की व्यवस्था हो जाती तो शहीद शिव दहिन राजभर को कुछ तो सम्मान मिलता।


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