चंद्रशेखर की यादों पर दूजा शेखर संग्राहलय का हुआ उद्घाटन
रसड़ा (बलिया) कुछ बात है कि हस्ती नहीं मिटती हमारी दुश्मन रहा है सदियों दौरे जमां हमारा।
जासं, रसड़ा (बलिया) : कुछ बात है कि हस्ती नहीं मिटती हमारी, दुश्मन रहा है सदियों दौरे जमां हमारा। प्रख्यात शायर इकबाल का यह कलाम पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर सौ फीसदी सटीक बैठता है। आज देश ही नहीं पूरा विश्व उन्हें जननायक के रूप में स्मरण करता है। उनकी यादों एवं उनकी कृतियों पर आधारित देवस्थली विद्यापीठ परिसर में निर्मित विशाल दूजा शेखर संग्राहालय उद्घाटन गुरुवार को उनके अनुज एवं विद्यालय के प्रबंधक कृपाशंकर सिंह ने किया। प्रधानाचार्य पीसी श्रीवास्तव सहित विद्यालय परिवार व अभिभावकों के बीच उन्होंने संग्राहालय सहित भवन में निर्मित पुस्तकालय, अतिथि गृह तथा क्रिया कलाप कक्ष का लोकार्पण कर फीता काटकर विधिवत उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि ने द्रशेखर की यादों पर आधारित उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्यों, सामाजिक एवं राजनीतिक संघर्षों, प्रधानमंत्री बनने के पूर्व एवं बाद में उनके संस्मरणों पर विविध संग्रहों से लैंस पूर्व प्रधानमंत्री के जीवन से जुड़े मेडल, पुस्तकों आदि विविध का अवलोकन किया। इस संग्राहलय में मौजूद लोक विकास सामाजिक मंच जयपुर द्वारा दिनांक 1 अगस्त 1994 में प्राप्त स्मृति चिह्न पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देशाई, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बीपी कोइराला, 1990 में प्राप्त सम्मान एवं स्मृति चिह्न तथा लंदन की मंत्री बरबारा कैसटल द्वारा प्राप्त स्मृति चिह्न का भी विशेष संग्रह को इसमें समाहित किया गया है। जिसे देखकर लोगों की पूर्व प्रधानमंत्री की यादें ताजा हो गईं। इस मौके पर कृपाशंकर सिंह ने कहा कि चंद्रशेखर की आवाज राष्ट्रीय विवेक की अभिव्यक्ति है। उनके आदर्शाें को आत्मसात करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जननायक चंद्रशेखर विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह तथा एमएलसी रविवशंकर सिंह पप्पू ने चंद्रशेखर के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित की। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर जैसे व्यक्तित्व के लोग युग-युगांतर के बाद ही पृथ्वी पर जन्म लेते हैं। इस मौके पर उप प्रबंधक सूर्यबली सिंह, गिरिजाशंकर सिंह, योगेंद्र सिंह, दीपक सिंह, उत्कर्ष सिंह, रामबहादुर सिंह, गौरीशंकर सिंह, चंद्रमा सिंह आदि मौजूद थे।