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यज्ञ मंडप की परिक्रमा, श्रद्धालुओ की जुटान

बांसडीहरोड (बलिया) भक्ति जब भाव में परिवर्तित होती है तो भक्त का भगवान से सीधा साक्षात्कार हो जाता है। इसके बाद मानव जीवन सार्थकता पूर्ण रूपेण सिद्ध ही जाती है। उक्त बातें क्षेत्र के बजहां गांव में भक्तिमय माहौल में चल रहे लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के यज्ञाचार्य पंडित दयाशंकर शास्त्री ने शुक्रवार को श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन के दौरान कहीं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 05:22 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 10:02 PM (IST)
यज्ञ मंडप की परिक्रमा, श्रद्धालुओ की जुटान
यज्ञ मंडप की परिक्रमा, श्रद्धालुओ की जुटान

जासं,बांसडीहरोड (बलिया) : भक्ति जब भाव में परिवर्तित होती है तो भक्त का भगवान से सीधा साक्षात्कार हो जाता है। इसके बाद मानव जीवन सार्थकता पूर्ण रूपेण सिद्ध ही जाती है। उक्त बातें क्षेत्र के बजहां गांव में भक्तिमय माहौल में चल रहे लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के यज्ञाचार्य पंडित दयाशंकर शास्त्री ने शुक्रवार को श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन के दौरान कहीं।

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जहां अपार भक्तिमय वातावरण में यज्ञ की दिव्यता रोजाना बढ़ती चली जा रही है। महायज्ञ में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रतिदिन की भांति वेदी पूजन के साथ यज्ञ मंडप में दिन पर्यंत हवन चलता रहा। विशाल हवन कुंड के चारों तरफ बैठे यजमानों के मध्य में बैठे यज्ञाचार्य पंडित दयाशंकर शास्त्री व उनके पास बैठे काशी से आये वैदिक विद्वानों द्वारा उच्चारित मंत्रोच्चार की ध्वनि से समूचा यज्ञक्षेत्र आलोकित होता रहा। यज्ञमंडप की ध्वजाओं के लहराने के लय के साथ ही यज्ञ कार्यक्रम भी धीरे धीरे अपने स्वरूप का विस्तार करता चला जा रहा है।

अपने नियत समय से चल रहे यज्ञ कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भी उपस्थिति हो रही है। सुबह से लेकर शाम तक महिलाओं व पुरुषों की भीड़ यज्ञशाला की परिक्रमा कर स्वयं को पुण्य के भागी बना रहें है। यज्ञशाला के आस पास लगे पांडालों में दूर दराज से आये साधु संतों की उपस्थिति यज्ञक्षेत्र को और भी शोभायमान करती नजर आ रही है। यज्ञ क्षेत्र में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए आस पास दुकानें भी सजनें लगी है। बच्चों की भीड़ देख झूले चरखी वाले भी अब यज्ञक्षेत्र के स्थापित हो गए है। खिलौनों की सजी दुकानों पर भी महिलाएं अपने बच्चों के साथ कुछ खरीदारी करती नजर आ रहीं है।

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच तेजी से हर तरफ फैलती यज्ञशाला के धूप दीप नैवेद्य की सुगंध अनायास ही लोगों को आकर्षित करती चली जा रही है। पूरी तन्मयता से यजमानों का यज्ञ के प्रति भक्ति व समर्पण तथा यज्ञाचार्य की कठिन साधना प्रतिस्थापन ने वर्तमान में इस क्षेत्र को तीर्थ स्थल में परिवर्तित कर दिया है। जिसकी आभा हर किसी को बरबस अपनी तरफ खींच रही है।


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