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डेंजर जोन तिलापुर में खतरे में है टीएस बंधा

जागरण संवाददाता, रेवती (बलिया) : टीएस बंधा के डेंजर जोन तिलापुर में घाघरा का तेवर खतरनाक हो चला है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 09:39 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 09:39 PM (IST)
डेंजर जोन तिलापुर में खतरे में है टीएस बंधा
डेंजर जोन तिलापुर में खतरे में है टीएस बंधा

जागरण संवाददाता, रेवती (बलिया) : टीएस बंधा के डेंजर जोन तिलापुर में घाघरा का तेवर खतरनाक हो चला है। दतहां से तिलापुर तक लगभग दो किलोमीटर की लंबाई में नदी ने अपनी आगोश में लेना शुरू कर दिया। बंधे के उत्तर नदी की तली में पूर्व में बने प्लेटफार्म व अप्रन को नदी काटती हुई बंधे के अंदर घुसने के लिए आधा दर्जन स्थानों पर अप्रन को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर चुकी है। वर्षों से कई कटान देख चुके दहशतजदा तटवर्ती ग्रामीण आने वाले संभावित खतरे को लेकर परेशान हैं। हालांकि नदी के पानी का स्तर काफी नीचे पेटी में है। बरसात शुरू होते ही जलस्तर के बढ़ने के बाद नदी का दबाव बंधे पर बढ़ जाएगा।

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गत 24 मई को जागरण में प्रकाशित डेंजर जोन तिलापुर में बंधे पर आसन्न खतरे समाचार को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी भवानी ¨सह खंगारौत ने 30 मई को बंधे का दौरा कर बरसात पूर्व 20 जून तक बंधे के क्षतिग्रस्त अप्रन की मरम्मत के साथ बंधे के दोनों साइड उगे नरकट व शाहिल के मांद को मूंदने हेतु ¨सचाई व बाढ़ विभाग के संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया था। किन्तु मरम्मत व खर पतवार की सफाई को कौन कहे अभी तक बंधे पर कोई अधिकारी झांकने तक नहीं आया। बरसात व बाढ़ से पूर्व बंधे की सुरक्षा के लिए ¨सचाई विभाग द्वारा कोई योजना तैयार नहीं की गई है। डेंजर जोन तिलापुर में बंधे पर आसन्न खतरे से निपटने व फ्लड फाइ¨टग के लिए जियो बैग, बालू भरी बोरी, पत्थर के बोल्डर, बालू का स्टाक जो अभी नदी उस पार उपलब्ध है उसे उपयोग नहीं किया गया है। बंधे की निगरानी व पानी के दबाव पर नजर रखने के लिए सुपरवाजर भी इस बार नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में तटवर्ती ग्रामीण रात में रतजगा कर स्वयं बंधे की निगरानी कर रहे हैं। बाढ़ के दिनों में सरकार की पहली प्राथमिकता होती है बंधे की सुरक्षा। जबकि बाढ़ के दिनों में कटान की चपेट में आकर गांव के गांव अपना वजूद खोते जा रहे हैं। बाढ़ के दौरान बंधे व तटबंध की सुरक्षा के नाम पर सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया जाता है और पुन: शुरू हो जाता है बंधे की सुरक्षा के नाम पर लूट खसौट का कार्य। यही कारण है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद बंधा सुरक्षित नहीं हो पाया है।


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