ऐतिहासिक ददरी मेले में दिख रही लघु भारत की तस्वीर, मेलार्थियों की भीड़ से दुकानदारों के खिले चेहरे
ऐतिहासिक ददरी मेले में लघु भारत का दृश्य देखने को मिल रहा है। मेले में उमड़ी भीड़ से दुकानदारों के चेहरे खुशी से चमक उठे हैं। यह मेला सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है और इसका ऐतिहासिक महत्व भी है।

ऐतिहासिक ददरी मेले में दिख रही लघु भारत की तस्वीर।
जागरण संवाददाता, बलिया। ददरी मेला अपने आप में अनोखा और अलबेला है। मेले में देसी सामान से लेकर सौंदर्य प्रसाधन, खिलौने और घरेलू सामानों की लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं। शहर से सटे लगभग तीन किलोमीटर के दायरे में 89 एकड़ जमीन पर लगे ददरी मेले में लघु भारत की तस्वीर दिख रही है।
मेले में कई स्थानों के दुकानदार पधारे हैं। कानपुर से खजला वाले आए हैं। सहारनपुर के व्यवसायी काष्ठ कला की दुकान सजाए हैं। बिहार के दुकानदार कंबल व ऊनी वस्त्र की दुकान किए हैं।
मेले में कई जनपदों से आए दुकानदारों की लगभग 750 दुकानें सजीं हैं। हरेक माल पांच रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 40 रुपये और 100 रुपये की दुकानों पर भी भीड़ कम नहीं हो रही। यहां कई तरह के सामान हैं, लेकिन उनकी कीमत एक है।
दिन के 11.30 बजे हैं। ददरी मेले में दूर-दराज के लोग भी विभिन्न प्रकार के वाहनों से पहुंचने लगे हैं। शादी वाले घरों के लोग अपनी लिस्ट के अनुसार खरीदारी कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि उनके इलाके में ये सामान नहीं मिलेंगे, लेकिन मेले से सामान खरीदने के पीछे उनका तर्क है कि यहां सामान कुछ सस्ता है।
सिकंदरपुर से मेले में अपने मित्रों के साथ पहुंचे अरविद सिंह ने बताया कि इस मेले में हर साल आता हूं। मेले में बिकने वाले कुछ सामान ऐसे होते हैं, जो गांव की तरफ अब नहीं मिल पा रहे। जैसे कुदाल, हसुआ, खुरपा, बेल्चा, रम्मा, टांगी व पशुओं को बांधने वाला रस्सी, जाड़े के लिए देसी कंबल आदि।
बहुत से लोग अपने बच्चों को भी मेले में घुमाने लाए थे। बच्चे काफी खुश नजर आ रहे थे। बातचीत में बच्चों ने कहा कि मेला हमेशा ऐसे ही रहना चाहिए। कभी खत्म नहीं होना चाहिए।
दरअसल मेले में चरखी, सर्कस, ड्रेगन झूला, ब्रेक डांस झूला आदि बच्चों की पहली पसंद बनी हुई है। मौत के कुंआ अभी लगने वाला है। मिठाई की दुकानों पर गुड़ की जलेबी का स्वाद लोग जरूर ले रहे हैं। मीना बाजार में महिलाएं भारी संख्या में पहुंच रहीं हैं।
भीड़ के अनुपात में शौचालय का नहीं हुआ इंतजाम
मेले में प्रति दिन लगभग 30 हजार लोग पहुंच रहे हैं, लेकिन नगरपालिका की ओर से उस अनुपात में इंतजाम नहीं किए गए हैं। मेले में तो स्वच्छता का ध्यान रखा गया है, लेकिन मेले से बाहर आने पर गंदगी का अंबार भी दिखने लगता है।
नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा ने बताया कि मेले में 50 शौचालय, दो मोबाइल शौचालय, पांच टैंकर पानी की व्यवस्था की गई है। सफाई और फॉगिग भी प्रतिदिन कराई जा रही है।

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