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-सीएम के आदेश के बाद भी छुट्टा पशुओं का नहीं इंतजाम

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलाधिकारियों को 10 जनवरी तक सभी निराश्रित पशुओं को गो-संरक्षण केन्द्रों में पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। निराश्रित पशुओं से जनता और किसानों को राहत दिलाने के लिए हर जिले में स्थान चिन्हित कर गो-संरक्षण केंद्र खोले जाने के निर्देश के बाद भी जनपद में इस ओर कोई विशेष पहल होती नहीं दिख रही है। जबकि निर्देश में सभी जिलाधिकारियों को कहा गया हैं कि सभी गो-संरक्षण केन्द्रों में गोवंश के रख-रखाव का भली-भांति इंतजाम हो। इसके बावजूद भी जिले में अभी तक कहीं भी गो-संरक्षण केंद्र नहीं खोले गए है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 11:18 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 11:18 PM (IST)
-सीएम के आदेश के बाद भी छुट्टा पशुओं का नहीं इंतजाम
-सीएम के आदेश के बाद भी छुट्टा पशुओं का नहीं इंतजाम

जागरण संवाददाता, बलिया : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलाधिकारियों को 10 जनवरी तक सभी छुट्टा पशुओं को गो-संरक्षण केन्द्रों में पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। निराश्रित पशुओं से जनता व किसानों को राहत दिलाने के लिए हर जिले में स्थान चिन्हित कर गो-संरक्षण केंद्र खोले जाने के निर्देश के बाद भी जनपद में इस ओर कोई विशेष पहल होती नहीं दिख रही है। जबकि निर्देश में सभी जिलाधिकारियों को कहा गया हैं कि सभी गो-संरक्षण केन्द्रों में गोवंश के रख-रखाव का भली-भांति इंतजाम हो। इसके बावजूद भी जिले में अभी तक कहीं भी गो-संरक्षण केंद्र नहीं खोले गए है। निराश्रित गोवंश अभी भी जहां-तहां घूम रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो ये छुट्टा पशु किसानों को कंगाल बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। शहर के लोग भी इनसे कुछ ज्यादा ही परेशान हैं। किसानों के खेतों को तो ये पूरी तरह बर्बाद कर देते हैं फिर भी किसान इन पर दया ही बरसाते हैं। यह हाल सभी तहसीलों का है। नगर में सब्जी मंडी, नया चौक, विजय सिनेमा रोड, लोहापट्टी, बालेश्वर मंदिर रोड में अवारा पशु भारी संख्या में हैं। वे दुकानदारों को भी काफी संख्या में नुकसान पहुंचाते हैं।

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अब तक तीन तहसीलों में मिली है जमीन

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. अशोक मिश्रा ने बताया कि अभी नगर में इसके लिए जमीन नहीं मिला है। जमीन की खोज की जा रही है। जबकि जनपद के कुल छह तहसीलों में अभी तक बांसडीह के मनियर, सिकंदरपुर के जिगिरसंड और रसड़ा तहसील में स्थान चिह्नित किए गए हैं। उन स्थानों पर गो-संरक्षण केन्द्र खोला जाना है। उक्त स्थान पर कोई चारदिवारी नहीं होगी। फे¨सग की व्यवस्था में ऐसे पशुओं को उचित देखरेख में रखा जाएगा। -घड़रोज से मुक्ति का नहीं है उपाय

जनपद में किसानों की क्षति सबसे ज्यादा घड़रोज से होती है। गरीब किसान कर्ज लेकर अपनी खेती उम्मीद के साथ करते हैं। दिन-रात रखवाली भी करते हैं। खेतों का तार और जाल से घेरा भी करते हैं, इसके बावजूद भी घड़रोज उनका सबकुछ बर्बाद कर देते हैं। इनसे मुक्ति दिलाने का उपाय पर सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। वजह कि ये जनपद के ग्रामीण इलाके में इतनी संख्या में हैं कि इन्हें पकड़कर एक स्थान पर रखना किसी के बस की बात नहीं है। ऐसा किसान भी मानते हैं। ----वर्जन-----

गो-संरक्षण केन्द्र में सभी छुट्टा पशुओं को रखा जाएगा, साथ ही उनके मालिक के विषय में भी पता किया जाएगा। यदि मालिक पशु-संरक्षण केंद्र से पशुओं को छुड़ाने आएंगे तो उन पर आर्थिक दंड लगाने का भी प्रावधान है। ऐसे पशुओं से सबसे ज्यादा क्षति किसानों को हो रही है। शहर में भी आमलोग इनसे परेशान है। नगर में जमीन की तलाश जारी है, जगह मिलते ही सभी छुट्टा पशुओं को वहां पहुंचा दिया जाएगा।

-मनोज कुमार ¨सघल, एडीएम


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