सूखा राहत घोटाला में कार्रवाई तेज, लेखपाल के खिलाफ चार्जशीट
करीब डेढ़ दशक पूर्व हुए सूखा राहत घोटाला के आरोपित लेखपाल के खिलाफ पुलिस ने शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने विभागीय अनुमति के बाद संबंधित लेखपाल के खिलाफ चार्जशीट भी दायर कर दिया है।
जागरण संवाददाता, बिल्थरारोड (बलिया): करीब डेढ़ दशक पूर्व हुए सूखा राहत घोटाला के आरोपित लेखपाल के खिलाफ पुलिस ने शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने विभागीय अनुमति के बाद संबंधित लेखपाल के खिलाफ चार्जशीट भी दायर कर दिया है। पुलिस के एक्शन में आने के बाद आरोपित लेखपाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वर्तमान में आरोपित लेखपाल जनपद मुख्यालय में ही तैनात बताया जा रहा है। वहीं इसी मामले में एक अन्य आरोपी तत्कालीन नायब तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस को शासन से अभियोजन स्वीकृति का इंतजार है।
वर्ष 2004 में शासन के निर्देश में क्षेत्र में सूखा राहत वितरण में तत्कालीन नायब तहसीलदार व लेखपाल ने मिलीभगत कर लाखों रुपये का गोलमाल कर दिया था। मामला प्रकाश में आने के बाद फर्जी हस्ताक्षर व चेक गायब होने का बहाना बनाकर लीपापोती की कोशिश की गई। मामला तूल पकड़ने पर तत्कालीन तहसीलदार राधेश्याम पाल ने आरोपित लेखपाल व नायब तहसीलदार सहित जिला सहकारी बैंक सीयर के मैनेजर के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया। उधर लेखपाल छट्ठू राम यादव ने 15 अक्टूबर 2004 को अवगत कराया है कि कार्यालय से चेक संख्या 668401 से 668500 के 80 चेक एवं चेक सं. 689501-689600 के चेक गायब हो चुके हैं।
इस प्रकार कुल 180 चेक गायब होने की सूचना लेखपाल ने विभागीय उच्चाधिकारियों को दी। वहीं बैंक में जांच के दौरान अभिलेखो में 91 चेकों का भुगतान छह सितम्बर को होना पाया गया जो गायब होने वाले चेकों में से ही थे। इन चेकों पर तत्कालीन नायब तहसीलदार सीयर अनुराज राम के फर्जी हस्ताक्षर मिले। जांच के दौरान पुलिस ने तमाम गवाहों व संयुक्त निदेशक विधि विज्ञान प्रयोगशाला, रामनगर (वाराणसी) की रिपोर्ट संग अन्य अभिलेखों के आधार तत्कालीन लेखपाल छट्ठू राम यादव व नायब तहसीलदार अनुराज राम को दोषी पाया था। लोक सेवक होने की वजह से कार्रवाई में विलंब हो रहा था। जिले से अनुमति मिलने के बाद पुलिस एक बार फिर सक्रिय हो उठी है। वहीं पुलिस की सक्रियता देख विभागीय गलियारे में हलचल बढ़ गई है।