वजूद की जद्दोजहद में बहुरिया का ईनार
मजबूर लोग ऊपरवाले की मर्जी मानकर रो-धोकर संतोष कर रहे हैं। सुरेमनपुर दियरांचल के गोपाल नगर मानगढ़ शिवाल मठिया बकुल्हा के टोला फतेराय नई मल्लाह बस्ती देवपुर मठिया सहित रेलवे लाइन से उत्तर बसे दर्जन भर गांवों में प्रति वर्ष अगलगी की घटनाएं होती हैं। सबकुछ जल जाता है लोग खुले आसमान के नीचे आ जाते हैं और जिला प्रशासन कोटेदारों से कुछ आटा चावल एक तिरपाल व कुछ रुपये मुआवजा के रूप में दिलवाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेता हैं। उसके बाद पूरे वर्ष अग्निपीड़ित दाने-दाने के लिए मोहताज हो जाते हैं। पूरे साल खाने के लिए पैदा किया गया अनाज आग में जल जाता है। पिछले वर्ष सुरेमनपुर दियराचंल के विभिन्न गांवों में दर्जन भर से अधिक अगलगी की ऐसी घटनाएं हुई थी। जिसमें उनका सबकुछ बर्बाद हो जाता है।
जागरण संवाददाता, रेवती (बलिया): हमारे पूर्वजों ने जन भावना से प्रेरित होकर कुएं व तालाब खुदवाए। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए बाग लगाया और एक हम हैं कि पूर्वजों की धरोहर को सहेज तक नहीं पा रहें हैं। रेवती क्षेत्र के झरकटहा ग्राम सभा अंतर्गत वशिष्ठनगर प्लाट गांव में एक ऐसा ही बहुरिया के ईनार के नाम से बेजोड़ कुआं है। अपनी विशिष्टता के लिए पूरे पूर्वाचल में बेजोड़ इस कुएं की कई बड़ी खासियततें हैं। आज करोड़ो खर्च करने के बाद भी इस तरह के कुआं बनाना आसान नहीं है।
बहुरियां के ईनार के नाम से प्रसिद्ध इस कुआं के चारों ओर चार कोठरी बनी है। जिसमें राहगीर विश्राम किया करते थे। कुआं पर चढ़ने के लिए बनाई गई सीढ़ी और इसके जगत से सटाकर बनाया गया वृहद नादचरण आज भी लोगों को आकर्षित करता है। कभी राहगीरों को सुकून देने वाला बहुरिया का यह कुआं देखरेख के अभाव में अपना वजूद बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। कुएं के अगल-बगल उगे नरकट व खर-पतवार, जगत पर बिखरे गोबर के कंडे इसकी दुर्दशा का वर्णन करने के लिए पर्याप्त हैं।
झरकटहा निवासी राम प्रताप सिंह ने बताया कि कुआं का पानी काफी मीठा है। इसका पानी पीने से घेघां रोग ठीक हो जाता था लेकिन आज उपेक्षित है। पूर्व प्रधान राजकिशोर यादव ने बताया कि आज से लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व गांव के नकछेदी सिंह के परिवार की बहुरिया को ससुराल आते समय पानी की आवश्यकता महसूस हुई लेकिन दूर-दूर तक पानी व छाया की कोई व्यवस्था नहीं थी। खैर बहुरिया ससुराल आ गई और उस स्थान पर कुआं खोदवाने का मन में संकल्प ले लिया। उसी संकल्प को पूरा करने के लिए कालांतर में यह ईनार (कुआं) खोदवाया गया। उन्हीं के नाम पर इस कुआं का नाम बहुरिया का ईनार पड़ा । संरक्षण के अभाव में यह कुंआ अपना अस्तित्व खोने के कगार पहुंच गया है।
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वजूद बनाने के लिए होगा प्रयास
- झरकटहा ग्राम सभा के प्रधान मनोज कुमार पासवान ने बताया कि पूर्वजों के इस धरोहर को बचाने तथा इसका पुराना लुक प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास किया जायेंगा । आवश्यकता पड़ी तो शासन स्तर से मदद भी ली जाएगी।